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प्रधानमंत्री के दौरे पर नागरिक का खुला पत्र: संगीता शर्मा के तीखे सवाल सोशल मीडिया पर चर्चा में

पीएम मोदी के मध्य प्रदेश दौरे पर आर्थिक हालात, पर्यावरण और भ्रष्टाचार को लेकर उठे सवाल

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मध्य प्रदेश दौरे के बीच नागरिक संगीता शर्मा ने एक खुला पत्र लिखकर राज्य की आर्थिक स्थिति, पर्यावरणीय नुकसान, भ्रष्टाचार और महिला सम्मान से जुड़े तीखे सवाल उठाए हैं। उनका पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और कई राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच बहस का मुद्दा बन गया है।

पत्र में उठाए गए प्रमुख सवाल:

मध्य प्रदेश की आर्थिक स्थिति – संगीता शर्मा ने लिखा, “जो राज्य कभी समृद्ध था, वह आज कर्ज में डूबा है। क्या केवल उद्योगपतियों के आनंद के लिए करोड़ों रुपये खर्च करना सही है?”

पर्यावरणीय नुकसान पर सवाल – उन्होंने दावा किया कि भोपाल के मानव संग्रहालय में हुए आयोजन के लिए सैकड़ों पेड़ काटे गए, जिससे पर्यावरण को भारी क्षति हुई। उन्होंने सवाल किया, “क्या आपकी खुफिया एजेंसियों ने आपको इस नुकसान की जानकारी दी?”

बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री पर प्रतिक्रिया – संगीता शर्मा ने लिखा, “क्या आप अविवाहित महिलाओं को ‘खाली प्लॉट’ बताने वाले धीरेन्द्र शास्त्री को संत मानते हैं?”

भ्रष्टाचार पर हमला – उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “क्या अब भ्रष्टाचार ने विकास का स्थान ले लिया है? व्यापम घोटाले से लेकर हाल ही में एक पुलिसकर्मी के घर करोड़ों की संपत्ति मिलने तक, आपकी चुप्पी क्या यह संकेत देती है कि भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार बन चुका है?”

अंतरराष्ट्रीय मुद्दे भी बने सवाल – उन्होंने हाल ही में अमेरिका से भारतीय नागरिकों को हथकड़ी पहनाकर भारत भेजे जाने और ट्रंप प्रशासन द्वारा कुछ भारतीयों को पनामा डिपोर्ट करने पर भी पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया।

एलन मस्क से मुलाकात पर कटाक्ष – पत्र में उन्होंने तंज कसते हुए लिखा, “जब आपने एलन मस्क के बच्चों को खिलाया, तो आपको क्या अनुभूति हुई?”

क्या प्रधानमंत्री मोदी देंगे जवाब?

संगीता शर्मा ने पत्र के अंत में लिखा कि उन्हें मालूम है कि प्रधानमंत्री इन सवालों के जवाब नहीं देंगे। लेकिन, उन्होंने उम्मीद जताई कि शायद एक बार इन मुद्दों पर वे विचार जरूर करें।

इस पत्र को लेकर सोशल मीडिया पर जोरदार बहस छिड़ गई है। विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस पर सरकार की प्रतिक्रिया मांगी है।

हालांकि, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन यह पत्र सत्ता और जनता के बीच संवाद की कमी को उजागर करता है।

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