नई दिल्ली: गांधी जयंती के मौके पर एक बार फिर से अभिनेत्री और भाजपा सांसद कंगना रनौत ने विवादित बयान देकर सियासी हलचल मचा दी है। कंगना ने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को लेकर अपने इंस्टाग्राम पर टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने लिखा, “देश के पिता नहीं, देश के तो लाल होते हैं। धन्य हैं भारत माता के ये लाल।” उनके इस बयान के बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
कांग्रेस ने किया कड़ा प्रहार
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कंगना रनौत के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा सांसद कंगना ने महात्मा गांधी के प्रति भद्दा कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा, “गोडसे के उपासक बापू और शास्त्री जी में अंतर करते हैं। क्या नरेंद्र मोदी अपनी पार्टी की नई गोडसे भक्त को माफ करेंगे?” श्रीनेत ने आगे कहा, “महात्मा गांधी राष्ट्रपिता हैं, बेटे हैं और शहीद हैं। उनका सम्मान किया जाना चाहिए।”
भाजपा के वरिष्ठ नेता भी आए विरोध में
कंगना के इस बयान की आलोचना कांग्रेस तक सीमित नहीं रही। पंजाब के वरिष्ठ भाजपा नेता मनोरंजन कालिया ने भी कंगना के बयान की निंदा की। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा, “मैं महात्मा गांधी की 155वीं जयंती पर कंगना रनौत की टिप्पणी की निंदा करता हूं। राजनीति उनका क्षेत्र नहीं है और उन्हें विवादास्पद बयान देने की आदत हो गई है, जो पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी करती है।”
पुराने विवाद फिर से चर्चा में
यह पहली बार नहीं है जब कंगना रनौत अपने बयानों के चलते विवादों में आई हैं। इससे पहले, उन्होंने 2021 में निरस्त किए गए कृषि कानूनों की वापसी की वकालत की थी, जिसके चलते उन्हें किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा था। कंगना ने दावा किया था कि किसान आंदोलन भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा कर रहा है और विरोध स्थलों पर लाशें लटक रही थीं और बलात्कार हो रहे थे। बाद में, कंगना ने अपने इस बयान पर माफी मांगते हुए कहा था कि उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि वह केवल एक कलाकार ही नहीं, बल्कि भाजपा की सदस्य भी हैं।
राजनीतिक हलचल का केंद्र बनी कंगना
गांधी जयंती पर कंगना का यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। जहां कांग्रेस इसे भाजपा की विचारधारा से जोड़कर देख रही है, वहीं भाजपा के कुछ नेताओं ने भी कंगना के बयान की निंदा की है। इससे स्पष्ट है कि कंगना के बयानों का राजनीतिक प्रभाव गहराता जा रहा है, जो आने वाले समय में भाजपा के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है।