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भाजपा की कथनी और करनी में अंतर? कांग्रेस प्रवक्ता संगीता शर्मा ने खड़े किए सवाल

भोपाल: मध्यप्रदेश कांग्रेस की प्रवक्ता संगीता शर्मा ने भाजपा की हालिया जिला अध्यक्षों की नियुक्तियों पर सवाल उठाते हुए पार्टी पर जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा की मंडल से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक की सोच में कितनी नफरत भरी है, इसका अंदाजा मध्यप्रदेश में नियुक्त 62 जिला अध्यक्षों की जातिगत संरचना से लगाया जा सकता है। उनके अनुसार, इनमें से मात्र तीन जिला अध्यक्ष आदिवासी समुदाय से हैं, जिससे भाजपा की कथनी और करनी के अंतर को समझा जा सकता है।

“संविधान निर्माता का अपमान करने वालों की मानसिकता उजागर”

संगीता शर्मा ने आरोप लगाया कि डॉ. भीमराव अंबेडकर का अपमान करने वाले लोग आदिवासी समाज के प्रति भी पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के संगठनात्मक ढांचे में यह भेदभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।

“प्रदेश अध्यक्ष की प्राथमिकता पर सवाल”

कांग्रेस प्रवक्ता ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने जिस वर्ग से वह स्वयं आते हैं, उसी को नियुक्तियों में सबसे अधिक प्राथमिकता दी। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सार्वजनिक जीवन में इस तरह की मानसिकता चौंकाने वाली है क्योंकि किसी भी राजनीतिक दल में कार्यकर्ता जाति देखकर नहीं, बल्कि मेहनत के आधार पर काम करता है।

“क्या यही दीनदयाल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी की भाजपा?”

संगीता शर्मा ने सवाल किया कि क्या भाजपा आज भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचारों पर चल रही है? या फिर पार्टी ने सिर्फ कुछ वर्गों को प्राथमिकता देने की नीति अपना ली है? उन्होंने कहा कि भाजपा के इस जातिगत समीकरण से यह साफ हो गया है कि पार्टी की कथनी और करनी में स्पष्ट अंतर है।

राजनीतिक विश्लेषण:

भाजपा की संगठनात्मक नियुक्तियों को लेकर कांग्रेस के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में बहस तेज हो गई है। भाजपा की ओर से इस पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन आगामी दिनों में इस मुद्दे पर सियासी घमासान तेज हो सकता है।

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