भोपाल। पुलिस अधिकारी की हत्या के मामले में न्यायालय ने आरोपी मयंक आर्य को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह सजा द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश श्री प्रदीप कुमार बरकडे की अदालत ने सुनाई। आरोपी को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और ₹5000 का जुर्माना लगाया गया। इसके अलावा, धारा 333 के तहत पांच साल के सश्रम कारावास और ₹2000 जुर्माना भी लगाया गया है।
घटना का विवरण
यह मामला 16 जून 2018 का है, जब भोपाल के निशातपुरा थाने में तैनात सहायक उपनिरीक्षक (ASI) अमृतलाल भिलाला 80 फीट रोड पर संदिग्ध वाहनों की चेकिंग कर रहे थे। इस दौरान एक सफेद मारुति ऑल्टो (नंबर MP04 CP 4360) को रोकने का इशारा किया गया। कार चालक ने रुकने के बजाय गाड़ी की रफ्तार बढ़ा दी और जानबूझकर भिलाला को टक्कर मार दी।
इसके बाद आरोपी ने ASI भिलाला को गाड़ी के नीचे फंसा लिया और करीब 1.5 किलोमीटर तक घसीटते हुए भाग गया। घटना के दौरान राहगीरों और पुलिस ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन चालक ने गाड़ी नहीं रोकी। गंभीर चोटों के कारण अमृतलाल भिलाला की 28 जून 2018 को अस्पताल में मौत हो गई।
न्यायालय की कार्रवाई
घटना की जांच पूरी होने के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। विशेष लोक अभियोजक श्री राजेंद्र उपाध्याय और श्रीमती वंदना परते ने न्यायालय में मामले की पैरवी की। न्यायालय ने उपलब्ध सबूतों और तर्कों के आधार पर आरोपी मयंक आर्य को दोषी करार दिया।
सजा का विवरण
धारा 302 (हत्या): आजीवन कारावास और ₹5000 का जुर्माना।
धारा 333 (सरकारी अधिकारी पर हमला): 5 साल का सश्रम कारावास और ₹2000 का जुर्माना।
निष्कर्ष
यह फैसला कानून व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है। पुलिस अधिकारियों के साथ हिंसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का यह मामला अन्य अपराधियों के लिए भी चेतावनी है।