भोपाल। साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण और नागरिकों को त्वरित सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से, भोपाल के सभी 37 थानों में साइबर हेल्प डेस्क की स्थापना की जा रही है। यह पहल 1 दिसंबर 2024 से लागू होगी। इसके लिए नगरीय पुलिस भोपाल ने 400 से अधिक पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को विशेष तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया है।
साइबर हेल्प डेस्क: नागरिकों को मिलेगी त्वरित सहायता
भोपाल में पहले सिर्फ एक साइबर थाना होने के कारण नागरिकों को साइबर धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराने में समस्याओं का सामना करना पड़ता था। शिकायत के पेंडिंग रहने और कार्रवाई में देरी के कारण आर्थिक नुकसान अधिक हो जाता था।
अब, 5 लाख रुपये तक की साइबर धोखाधड़ी/ठगी की शिकायतें नागरिक अपने निकटतम थाने में दर्ज करा सकेंगे। इस पहल से त्वरित कार्रवाई के माध्यम से पीड़ितों का पैसा होल्ड कराकर रिफंड की संभावना बढ़ जाएगी।
छह दिवसीय प्रशिक्षण सत्र: अधिकारियों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की पहल
साइबर अपराध से निपटने और प्रभावी अनुसंधान के लिए भोपाल के थानों के निरीक्षक से लेकर आरक्षक स्तर तक के 400 पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों को एनसीसीआरपी, जेएमआईएस और सीईआईआर पोर्टल के उपयोग सहित निम्नलिखित विषयों पर प्रशिक्षित किया गया:
साइबर क्राइम की रोकथाम और जांच
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (Facebook, Instagram, X) से जानकारी प्राप्त करना
बैंक अकाउंट डिटेल और कॉल डेटा रिकॉर्ड (CDR) निकालना
डिजिटल साक्ष्य एकत्रित करना और उनका विश्लेषण
जनजागरूकता अभियान चलाने के तरीकों पर चर्चा
पुलिस अधिकारियों ने साझा किए अनुभव और मार्गदर्शन
पुलिस उपायुक्त (क्राइम) श्री अखिल पटेल ने कहा कि साइबर अपराधों की जड़ तक पहुंचने के लिए चैन सिस्टम में काम करना आवश्यक है, और इसके लिए तकनीकी ज्ञान और संसाधनों का होना बेहद जरूरी है।
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त श्री शैलेन्द्र सिंह चौहान ने साइबर क्राइम अनुसंधान में आने वाली तकनीकी चुनौतियों, दीगर राज्यों के समन्वय और डिजिटल साक्ष्यों को सुरक्षित और प्रभावी ढंग से एकत्रित करने पर विस्तृत मार्गदर्शन दिया।
भोपाल पुलिस की पहल: डिजिटल अपराधों से निपटने की दिशा में बड़ा कदम
यह पहल मध्यप्रदेश पुलिस को डिजिटल गवर्नेंस और साइबर क्राइम कंट्रोल के क्षेत्र में नई ऊंचाई पर ले जाएगी। साथ ही, यह नागरिकों को त्वरित और प्रभावी सहायता प्रदान करने में मददगार साबित होगी। साइबर हेल्प डेस्क न केवल अपराधों की जांच प्रक्रिया को तेज करेगा, बल्कि भोपाल को साइबर क्राइम फ्री सिटी बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा।