भोपाल। प्रदेश के निगम मंडल, बोर्ड परिषद और सहकारी संस्थाओं की कार्यप्रणाली पर समीक्षा करने की मांग को लेकर आज मुख्यमंत्री को एक पत्र सौंपा गया। पत्र में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने पिछले 9 महीनों से पद संभालने के बावजूद निगम मंडलों की स्थिति पर कोई ध्यान नहीं दिया है।
पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि विभिन्न निगमों के बारे में कोई जानकारी नहीं है कि कौन से निगम लाभकारी हैं और कौन से समस्याग्रस्त। कई निगमों में अधिकारियों के दोहरे पदों और एमडी की कमी का भी मुद्दा उठाया गया है। इसमें मान्यता प्राप्त और गैर-मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों को समीक्षा में शामिल करने की भी मांग की गई है, ताकि वे निगम की समस्याओं को सीधे मुख्यमंत्री के सामने रख सकें।
समीक्षा में आदिवासी वित्त निगम, पिछड़ा वर्ग वित्त निगम, अनुसूचित वित्त निगम, महिला वित्त निगम, उपभोक्ता संघ, आवास निगम, भोपाल विकास प्राधिकरण, गृह निर्माण मंडल, लघु बनोउपज संघ, वन विकास निगम, कुकुर निगम, ऊर्जा निगम, वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन, नागरिक आपूर्ति निगम, माइनिंग कॉरपोरेशन, हस्तशील विकास निगम, पर्यटन निगम, मछली महासंघ आदि निगमों की स्थिति का मूल्यांकन किया जाए।
सेमी गवर्नमेंट एंप्लॉय फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष आदर्श अनिल बाजपेई ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस मुद्दे को उठाया है।
पर्यटन निगम के होटल के निजीकरण का विरोध
निगम मंडल बोर्ड के वरिष्ठ कर्मचारी नेता अनिल बाजपेई ने मुख्यमंत्री और भारत सरकार के गृहमंत्री को पत्र लिखकर पर्यटन विकास निगम के लाभकारी होटलों के निजीकरण का विरोध किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि लाभ में चल रहे होटलों को निजीकरण के तहत क्यों बेचा जा रहा है और इस पर पुनर्विचार करने की मांग की है।