सरकार से 7 लाख तक की आय करमुक्त करने और सभी छूट में 100% वृद्धि की मांग

भोपाल: वर्ष 2022-23 के रिटर्न फाइलिंग के आंकड़ों की समीक्षा करें तो पता चलता है कि देश में 7.40 करोड़ रिटर्न फाइल हुए, जिनमें से 2.26 करोड़ आयकरदाता हैं। 5.14 करोड़ पैन धारक आयकर जमा नहीं कर रहे हैं और उनकी आय 5 लाख से कम थी। रिटर्न दाखिल करने वालों में 47% वेतनभोगी और 53% व्यवसायी/व्यापारी हैं। 2.26 करोड़ आयकरदाताओं में से 70% वेतनभोगी हैं और शेष 30% अन्य व्यवसायों से अपनी आय अर्जित करते हैं।

देश में 20 लाख से अधिक आय वाले केवल 2.50 लाख लोग हैं, जिनमें से केवल 8714 करदाता 1 करोड़ से अधिक आय अर्जित करते हैं। एक अन्य विश्लेषण के अनुसार, भारत के 2 करोड़ लोग पर्यटन के लिए विदेश जा रहे हैं और 50 लाख कार व मकान खरीद रहे हैं। वेतनभोगी व्यक्ति अपनी आय का 25% हिस्सा आयकर, GST, टोल टैक्स, सम्पत्ति कर, और नगरपालिका करों में भुगत रहा है। 40-45% लोन की EMI में भुगतान कर रहा है, शेष आय से अपना घर चला रहा है और भविष्य के लिए बचत कर रहा है।

वर्ष 2022-23 के आंकड़ों का विश्लेषण करने का उद्देश्य यह है कि देश में वेतनभोगी और व्यवसायी/व्यापारी रिटर्न की संख्या लगभग समान है, परन्तु देश का लगभग 90% आयकर संग्रह व्यवसायी/व्यापारी से किया जाता है। वेतनभोगी तो बस फरवरी से जुलाई तक रिटर्न फाइल को लेकर धक्के खाते हैं और स्लैब के कारण अपने एक से दो माह का वेतन आयकर के रूप में सरकारी खजाने में जमा करवा रहे हैं।

वर्तमान टैक्स स्लैब देखने में तो बहुत बचत वाली नजर आती है परन्तु असलियत इसके ठीक विपरीत है। देश में पिछले 12 वर्षों से आयकर की कटौतियों और छूट की सीमाओं में कोई बदलाव नहीं हुआ है। परिणामस्वरूप, आज तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी आयकर की भारी भरकम राशि चुका रहा है।

ईमानदारी से टैक्स जमा करना ही देशभक्ति नहीं है, जमा टैक्स का हिसाब मांगना भी देशभक्ति है।

23 जुलाई को वर्तमान केंद्र सरकार का लगातार 11वां बजट आ रहा है। कर्मचारियों के प्रतिनिधि होने के नाते, हमारी सरकार से अपेक्षा है कि वह 7 लाख तक की आय करमुक्त करे और सभी कटौतियों और छूट में 100% वृद्धि करे। सरकार अपने कर ढांचे में इस प्रकार सुधार व बदलाव करे कि व्यापारी/व्यवसायी रिटर्न दाखिल करने और आयकर जमा करने हेतु प्रोत्साहित हों। ताकि आयकर जमा करने वाले 75 लाख व्यवसायी/व्यापारी की संख्या में वृद्धि हो और देश का आयकर संग्रह भी दुगना हो जाए।

हमारा काम है अपनी मांग उठाना और विषय को चर्चा में लाना, जो हम कर रहे हैं।

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