भोपाल,। मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने आज मुख्यमंत्री मोहन यादव को ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की मांग की गई है। रमेश राठौर ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति सौंपते हुए कहा कि राज्य में संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों के साथ न्याय होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्रीय जल आयोग के संविदा कर्मचारियों की याचिका पर निर्णय देते हुए कहा है कि जिन कर्मचारियों ने 10 वर्षों से अधिक समय तक संविदा पर कार्य किया है, उन्हें नियमित किया जाना चाहिए। यह आदेश उन कर्मचारियों पर भी लागू है जिनसे नियमित कार्य लिया जा रहा है।
ज्ञापन की मुख्य बातें
महासंघ के अध्यक्ष ने ज्ञापन में बताया:
संविदा कर्मचारियों की स्थिति:
मध्य प्रदेश के विभिन्न विभागों, योजनाओं, परियोजनाओं, निगम-मंडलों, बोर्डों, विश्वविद्यालयों, और सहकारी बैंकों में हजारों कर्मचारी 20-30 वर्षों से संविदा पर कार्यरत हैं।
इन कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों से आधा वेतन मिलता है।
संविदा कर्मचारियों को न समयमान वेतनमान मिलता है, न पदोन्नति।
दोयम दर्जे का व्यवहार:
संविदा कर्मचारियों से नियमित कर्मचारियों के समान कार्य लिया जाता है, लेकिन उनके साथ हेय दृष्टि से व्यवहार किया जाता है।
बार-बार यह कहकर उनकी मांगों को टाल दिया जाता है कि उनके पद अस्थाई हैं।
नियमितीकरण की मांग:
संविदा कर्मचारियों द्वारा बारहमासी प्रकृति का काम किया जा रहा है, जो अस्थाई नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए नियमित पदों का निर्माण किया जाए और कर्मचारियों को उसी पद पर नियमित किया जाए जहां वे वर्तमान में कार्यरत हैं।
अध्यक्ष रमेश राठौर का बयान
रमेश राठौर ने कहा, “संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का समय आ गया है। 20-30 वर्षों से समान कार्य करने के बावजूद वेतन और अधिकारों में भेदभाव संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए और कर्मचारियों को उनका हक देना चाहिए।
संविदा कर्मचारियों की उम्मीदें
मध्य प्रदेश में संविदा कर्मचारी सरकार से आशा कर रहे हैं कि उनकी मांगों को जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा। यह मुद्दा लंबे समय से राज्य में चर्चा का विषय बना हुआ है।