कोलकाता । पश्चिम बंगाल में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर एक दुखद घटना ने देश को हिला कर रख दिया। आधी रात को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में आंदोलन कर रहे डॉक्टरों पर एक उग्र भीड़ ने हिंसक हमला किया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है, जिसमें डॉक्टरों के साथ की गई अमानवीयता और बर्बरता साफ दिखाई देती है।
खबरें आ रही हैं कि महिला डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार और अत्याचार किया गया, जिसके बाद डॉक्टरों ने देशभर में अपनी सुरक्षा और सम्मान की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है। इस घटना के विरोध में देश के विभिन्न हिस्सों में लोग सड़कों पर उतर आए हैं, जिससे मामला और गरमा गया है।
प्रदेश सरकार से मांग की जा रही है कि वह इस घटना की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दे। लेकिन इसके साथ ही, समाज के रूप में हमें आत्ममंथन करने की भी जरूरत है। क्या हम इतने अमानवीय हो चुके हैं कि डॉक्टरों, विशेषकर महिला डॉक्टरों, को सुरक्षा और सम्मान देने में असमर्थ हो गए हैं?
यह घटना तब हुई जब पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, तिरंगा फहराया जा रहा था। उसी समय पश्चिम बंगाल के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में गुंडों की भारी भीड़ ने रेजिडेंट डॉक्टरों पर हमला कर दिया, घटनास्थल पर तोड़फोड़ की, और वहां खड़ी गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया। महिला डॉक्टरों और नर्सों के चेंजिंग रूम में घुसकर उन्हें परेशान किया गया। सबसे चिंताजनक बात यह है कि उस समय वहां एक भी पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था।
इस घटना ने पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे राज्य की स्थिति को कुछ लोगों ने सोमालिया से भी बदतर बताया है। देशभर में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचार के मामलों के बीच, यह घटना हमें एक बार फिर सोचने पर मजबूर करती है कि हम अपने समाज में किस दिशा में जा रहे हैं।