युवाओं में बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामलों के पीछे ‘थ्रिफ्टी जीन’ भी जिम्मेदार: डॉ. दीपक चतुर्वेदी

*भोपाल:** भारतीय युवाओं में हार्ट अटैक के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, और इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं। इस बारे में भोपाल के अक्षय हार्ट अस्पताल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ और निदेशक, **डॉ. दीपक चतुर्वेदी** ने विश्व हृदय रोग दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित एक प्रेस वार्ता में बताया कि इनमें से एक प्रमुख कारण **”थ्रिफ्टी जीन”** है।

### **क्या है ‘थ्रिफ्टी जीन’?**
डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि थ्रिफ्टी जीन एक आनुवंशिक विशेषता है, जो हमारे पूर्वजों को कठिन समय में, विशेष रूप से भोजन की कमी के दौरान, ऊर्जा की बचत और अधिक वसा जमा करने में मदद करती थी। लेकिन आज के समय में, जब खानपान की कोई कमी नहीं है, यह जीन विपरीत असर डालता है। इसके परिणामस्वरूप, शरीर में अनावश्यक वसा जमा हो जाती है, जिससे **मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज, और हार्ट अटैक** जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

### **युवाओं में हार्ट अटैक के अन्य कारण**
डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि थ्रिफ्टी जीन के अलावा, भारतीय युवाओं में हार्ट अटैक के मामलों के पीछे कई अन्य **मेडिकल और आनुवंशिक कारण** भी होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
– **एंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम**
– **डिस्लिपिडेमिया**
– **कॉग्निटिव मायोकार्डियल ब्रिज**
– **स्पॉन्टेनियस कोरोनरी आर्टरी डिससेक्शन**
– **ड्रग एब्यूज**
– **इंसुलिन रेजिस्टेंस**
– **फैमिली हिस्ट्री** 
– **महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन**

### **कम उम्र में बढ़ रहा हार्ट अटैक का खतरा**
उन्होंने कहा कि भारतीयों में **कोरोनरी आर्टरी डिसीज (CAD)** कम उम्र में ही विकसित हो जाती है, जिसके कारण 50 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में **50% से अधिक हृदय रोग (CVD) मृत्यु दर** देखने को मिलती है।

### **उपचार और बचाव के उपाय**
डॉ. चतुर्वेदी के अनुसार, अचानक हार्ट अटैक के जोखिम को कम करने के लिए समय-समय पर कुछ महत्वपूर्ण **चिकित्सा जांच** करानी चाहिए, जैसे:
– **क्लिनिकल लिपिड प्रोफाइल**
– **ईसीजी**
– **ट्रोपोनिन टेस्ट**
– **स्ट्रेस टेस्ट**
– **सीटी एंजियो**
– **पारंपरिक एंजियोग्राफी**

उन्होंने कहा कि अचानक आए हार्ट अटैक के इलाज के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं, जिनमें से **एस्पिरेशन थ्रोम्बोक्टोमी** एक प्रभावी उपाय है।

### **युवाओं में हार्ट अटैक के मुख्य रिस्क फैक्टर**
उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक के कुछ रिस्क फैक्टर युवाओं और बुजुर्गों दोनों में समान होते हैं, जैसे:
– **डिस्लिपिडेमिया**
– **तंबाकू का सेवन**
– **मधुमेह**
– **उच्च रक्तचाप**

हालांकि, **हाइपरहोमोसिस्टीनमिया**, **हाइपरकोएगुलेबल स्टेट्स**, और **कोकीन का सेवन** जैसे जोखिम युवा पीढ़ी में हार्ट अटैक के लिए अधिक जिम्मेदार माने जाते हैं।

### **मनोवैज्ञानिक कारण भी अहम**
डॉ. चतुर्वेदी ने यह भी बताया कि युवाओं में हार्ट अटैक का एक छिपा हुआ कारण **मनोवैज्ञानिक** होता है। **मानसिक तनाव, बचपन के बुरे अनुभव, और डर** भी अचानक हार्ट अटैक का कारण बन सकते हैं।

डॉ. चतुर्वेदी ने अंत में कहा कि स्वस्थ जीवनशैली, नियमित जांच, और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना युवाओं में बढ़ रहे हार्ट अटैक के खतरे को कम करने के लिए जरूरी है।

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