नेत्रदान: मरणोपरांत मानवता का सर्वोच्च उदाहरण बना एम्स भोपाल का आई बैंक कार्यक्रम

एम्स भोपाल में नेत्रदान की प्रेरणादायक पहल, स्वर्गीय लाल सिंह चौहान की आंखों से दो लोगों को मिली रोशनी

भोपाल । एम्स  ने मानवता और परोपकार की मिसाल कायम करते हुए नेत्रदान के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के नेतृत्व में संचालित हॉस्पिटल कॉर्नियल रिट्रीवल प्रोग्राम (HCRP) के अंतर्गत सीहोर जिले के बुदनी निवासी 61 वर्षीय स्वर्गीय श्री लाल सिंह चौहान ने मरणोपरांत अपनी दोनों आंखों का दान किया।

आंखों का दान बना किसी और की रोशनी का कारण

एम्स भोपाल के नेत्र विज्ञान विभाग की आई बैंक टीम ने चौहान परिवार से भावनात्मक संवाद कर यह सुनिश्चित किया कि नेत्रदान की प्रक्रिया सहमति और सम्मान के साथ पूर्ण हो। स्वर्गीय लाल सिंह चौहान के दोनों पुत्रों ने इस पुनीत कार्य के लिए सहमति देकर दृष्टिहीनों के जीवन में उजाला भरने में अपनी भूमिका निभाई।

नेत्रदान का महत्व: प्रो. अजय सिंह का संदेश

इस पुनीत अवसर पर प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा,
“नेत्रदान एक ऐसा अमूल्य उपहार है, जो मृत्यु के बाद भी किसी के जीवन को रोशनी से भर सकता है। स्वर्गीय लाल सिंह चौहान और उनके परिवार द्वारा किया गया यह निर्णय न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि पूरे समाज को नेत्रदान जैसे सेवा कार्यों की ओर अग्रसर करता है।”

उन्होंने यह भी कहा कि आई बैंक एम्स भोपाल की समर्पित टीम ने पूरे नेत्र प्रत्यारोपण की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक संपन्न कर एक और दृष्टिहीन को दृष्टि प्रदान करने की दिशा में अहम योगदान दिया है।

नेत्रदान कैसे करें?

जो भी व्यक्ति मरणोपरांत नेत्रदान करना चाहता है, वह एम्स भोपाल आई बैंक से संपर्क कर सकता है। कॉर्नियल रिट्रीवल प्रोग्राम के तहत नेत्रदान को वैज्ञानिक, सुरक्षित और सम्मानजनक तरीके से पूरा किया जाता है।

एम्स भोपाल का उद्देश्य: हर दृष्टिहीन को मिले नई रोशनी

एम्स भोपाल लगातार स्वास्थ्य सेवा, समाज सेवा, और नेत्रदान जागरूकता को लेकर सक्रिय भूमिका निभा रहा है। संस्थान का लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा लोग नेत्रदान के लिए आगे आएं और यह सुनिश्चित करें कि मृत्यु के बाद भी जीवन किसी और के लिए उपयोगी बन सके।

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