भोपाल, : मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 2024-25 के लिए प्रस्तुत किए गए बजट में कर्मचारियों के हितों के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया, जिससे प्रदेश के 12 लाख कर्मचारियों को निराशा हुई है।
मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच का विरोध:
मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के प्रांत अध्यक्ष अशोक पांडे ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि राज्य सरकार आमतौर पर वार्षिक बजट में कर्मचारी वर्ग के लिए कुछ न कुछ लाभ देने का प्रावधान करती थी। लेकिन इस बार बजट में कर्मचारियों के महंगाई भत्ता, अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण, स्थाई कर्मियों को सातवां वेतनमान, कर्मचारियों को 5 लाख तक की मेडिकल सुविधा, दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित न्यूनतम वेतनमान, अनुकंपा नियुक्ति, पुरानी पेंशन योजना, और न्यायालय आदेशों का लाभ देने की मांगों को नजरअंदाज किया गया है।
कर्मचारी वर्ग में असंतोष:
अशोक पांडे ने बताया कि इन आवश्यक प्रावधानों के अभाव में कर्मचारियों में असंतोष व्याप्त हो गया है। सरकार ने इस बार कर्मचारियों को प्राथमिकता में नहीं रखा, जिससे कर्मचारियों के हितों पर असर पड़ा है।
कर्मचारियों की प्रमुख मांगें:
1. महंगाई भत्ता: कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते का प्रावधान।
2. अनियमित कर्मचारियों का नियमितीकरण: अनियमित कर्मचारियों को नियमित करना।
3. सातवां वेतनमान: स्थाई कर्मियों के लिए सातवां वेतनमान लागू करना।
4. मेडिकल सुविधा: कर्मचारियों को 5 लाख तक की चिकित्सा सुविधा प्रदान करना।
5. न्यूनतम वेतनमान: दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित न्यूनतम वेतनमान का लाभ देना।
6. अनुकंपा नियुक्ति: अनियमित कर्मचारियों को अनुकंपा नियुक्ति देना।
7. पुरानी पेंशन योजना: पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करना।
8. न्यायालय आदेशों का पालन: न्यायालय के आदेशों का पालन कर लाभ देना।
मध्यप्रदेश सरकार के इस बजट से कर्मचारियों में असंतोष बढ़ गया है और वे अपने हितों के लिए संघर्ष करने की योजना बना रहे हैं।