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नीमच जिला अस्पताल में इंजेक्शन रिएक्शन से 26 बच्चों की तबीयत बिगड़ी, हड़कंप

**नीमच**: मध्य प्रदेश के नीमच जिला अस्पताल में गुरुवार रात बड़ा हादसा हुआ, जब शिशु वार्ड में भर्ती करीब 26 बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ गई। बच्चों की तबीयत बिगड़ते ही अस्पताल में हड़कंप मच गया। 5 से 6 बच्चों को तुरंत आईसीयू में भर्ती किया गया, जबकि कुछ बच्चों को उनके परिजन निजी अस्पताल लेकर चले गए। सभी बच्चों की उम्र 2 से 4 साल के बीच बताई जा रही है।

### एंटीबायोटिक इंजेक्शन से हुआ रिएक्शन

सूत्रों के मुताबिक, बच्चों की तबीयत बिगड़ने का कारण एंटीबायोटिक इंजेक्शन (आर सेफ्ट्रिएक्सोन इंजेक्शन आई.पी) का रिएक्शन बताया जा रहा है। यह इंजेक्शन शुक्रवार को अस्पताल में भर्ती 26 बच्चों को दिया गया था, जिसके बाद उनकी हालत और खराब हो गई।

### परिजनों में हड़कंप, अस्पताल में हंगामा

घटना की जानकारी मिलते ही बच्चों के परिजनों में हड़कंप मच गया। कई परिजन रोते-बिलखते नजर आए, जिससे अस्पताल परिसर में तनाव की स्थिति बन गई। कुछ गुस्साए परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा भी किया। वहीं, जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए तत्काल कदम उठाए।

### प्रशासनिक अधिकारियों ने संभाला मोर्चा

मौके पर पहुंचे एसडीएम लक्ष्मी गामड़ ने स्थिति का जायजा लिया और बताया कि अब स्थिति सामान्य है। फिलहाल, 3 बच्चे आईसीयू में हैं और बाकी बच्चों की हालत भी स्थिर बताई जा रही है। एसडीएम ने बताया कि रिएक्शन का कारण बने इंजेक्शन को जांच के लिए भेजा गया है और घटना की गहनता से जांच की जा रही है।

### इंजेक्शन की जांच के आदेश, अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल

घटना के बाद प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से इंजेक्शन की जांच के आदेश दिए हैं। एसडीएम लक्ष्मी गामड़ ने कहा कि बच्चों की सेहत से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने मीडिया से कहा, “इस घटना ने अस्पताल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं और मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी पहलुओं की जांच की जा रही है।”

### स्थिति पर प्रशासन की पैनी नजर

फिलहाल, सभी बच्चों की हालत स्थिर है और प्रशासनिक अधिकारी लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। इंजेक्शन के कारणों की पूरी जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

**इस घटना ने जिला अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे भविष्य में इस तरह की लापरवाही से बचने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।**



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