भोपाल। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम एम्स के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में आयोजित हुआ, जिसमें संस्थान के संकाय सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों ने भाग लिया। कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए प्रो. सिंह ने कहा कि हिंदी में कार्य करने की आदत विकसित करने के लिए इस प्रकार की कार्यशालाएं अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, “हमें अपने कार्यों में हिंदी के सरल और प्रचलित शब्दों को अपनाना चाहिए, ताकि भाषा को समझना आसान हो और राजभाषा का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो सके।”
हिंदी कार्यशालाओं से सुगमता और प्रवीणता बढ़ती है
उपनिदेशक (प्रशासन) कर्नल (डॉ.) अजीत कुमार ने कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से हिंदी में कार्य करना सरल हो जाता है और इससे राजभाषा के विकास में मदद मिलती है। उन्होंने सभी कर्मचारियों को हिंदी में काम करने के लिए प्रेरित किया।
कार्यशाला के प्रमुख सत्र
कार्यशाला के प्रथम सत्र में एम्स भोपाल के स्वास्थ्य प्रशिक्षक श्री समद हाशमी और मानसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता डॉ. ऋषि पांडे ने “मानसिक स्वास्थ्य का मानव जीवन पर प्रभाव” विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।
द्वितीय सत्र में एम्स भोपाल के राजभाषा सलाहकार श्री हेमंत कुमार जायसवाल और कनिष्ठ अनुवाद अधिकारी सुश्री अंजू चौहान ने प्रतिभागियों को हिंदी तिमाही प्रगति रिपोर्ट तैयार करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
100 से अधिक प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा
इस कार्यशाला में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यशाला का उद्देश्य संस्थान में हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहित करना और राजभाषा नीति को प्रभावी रूप से लागू करना था।