BJP नगर पालिका अध्यक्ष की गाड़ी में बजा हूटर, मजिस्ट्रेट ने काटा 3000 रुपए का चालान, तत्काल वाहन से उतरने का दिया आदेश
बड़वानी (मध्य प्रदेश): बड़वानी नगर पालिका की बीजेपी अध्यक्ष अश्विनी चौहान को अपनी गाड़ी में हूटर लगाकर चलना भारी पड़ गया। मजिस्ट्रेट की मोबाइल कोर्ट ने न केवल उनकी गाड़ी का 3000 रुपए का चालान काटा, बल्कि उन्हें तत्काल वाहन से पैदल उतरने का आदेश भी दे दिया। यह घटना उस समय की है जब मजिस्ट्रेट चेकिंग कर रहे थे और नगर पालिका अध्यक्ष हूटर बजाते हुए सड़कों पर निकल रही थीं।
कानून के खिलाफ हूटर का इस्तेमाल पड़ा महंगा
अश्विनी चौहान, जो कि पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रेम सिंह पटेल के भांजे की पत्नी हैं, अपनी सरकारी गाड़ी में गैर-कानूनी रूप से हूटर का इस्तेमाल कर रही थीं। जब मजिस्ट्रेट ने यह देखा, तो तुरंत चालानी कार्रवाई करते हुए 3000 रुपए का जुर्माना ठोक दिया। बड़वानी की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सीता कन्नौजे, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी विनय जैन और पूजा विजयवर्गीय की टीम ने कारंजा चौक पर मोबाइल कोर्ट लगाकर यह कार्रवाई की।
चेकिंग अभियान में कई अन्य अधिकारी भी आए जद में
इस दौरान, केवल नगर पालिका अध्यक्ष ही नहीं, बल्कि कई अन्य सरकारी अधिकारियों के वाहनों का भी चालान काटा गया, जो नियमों का उल्लंघन कर सड़कों पर गाड़ियों में हूटर का इस्तेमाल कर रहे थे। यह कार्रवाई क्षेत्र में हड़कंप मचा गई है और लोगों में जागरूकता बढ़ाने का काम भी कर रही है।
सतना में भी बढ़ा हूटर का अवैध इस्तेमाल
बड़वानी की इस घटना के बाद सतना जिले में भी हूटर के अवैध इस्तेमाल को लेकर बहस तेज हो गई है। यहां भी कई नेता और अधिकारी बिना अनुमति के अपनी गाड़ियों में हूटर लगाकर सड़कों पर वीआईपी अंदाज में घूमते नजर आते हैं।
कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन
कानून के अनुसार, हूटर का इस्तेमाल केवल आपातकालीन सेवाओं के लिए ही अनुमत है, जिसमें एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और कुछ विशेष परिस्थितियों में पुलिस वाहनों को शामिल किया गया है। लेकिन नेताओं और उनके समर्थकों द्वारा नियमों की अनदेखी करते हुए वाहनों में हूटर लगाकर वीआईपी ट्रीटमेंट लेने की होड़ मची हुई है।
प्रशासन की सख्ती के बाद क्या होगा असर?
बड़वानी में हुई इस कार्रवाई के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अन्य जिलों में भी प्रशासन इसी तरह की सख्त कार्रवाई करेगा? यह घटना अन्य नेताओं और अधिकारियों के लिए भी एक चेतावनी है कि वे कानून का पालन करें और अनावश्यक वीआईपी कल्चर को बढ़ावा न दें।
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