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वन कर्मचारियों पर बढ़ते हमले: सात माह में 20 प्राणघातक हमले, सुरक्षा की मांग

भोपाल। प्रदेश में वन माफिया द्वारा वन कर्मचारियों पर प्राणघातक हमले बढ़ते जा रहे हैं। पिछले सात महीनों में प्रदेश के विभिन्न जिलों में 20 प्राणघातक हमले हो चुके हैं। राज्य वन कर्मचारी संघ ने इस बढ़ती हिंसा के विरोध में मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने वन कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।

संघ के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे के अनुसार, मुरैना, सतना, सागर, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, सिवनी, गुना, विदिशा, भिंड, बैतूल, बालाघाट, नरसिंहपुर, बुरहानपुर, खंडवा, होशंगाबाद, रायसेन, छिंदवाड़ा और सीहोर जैसे जिलों में वन, रेत और खनन माफिया सक्रिय हैं। इन माफियाओं द्वारा वन कर्मचारियों पर किए गए हमलों में पुलिस प्रशासन का संरक्षण भी शामिल है।

मुरैना की घटना इसका स्पष्ट उदाहरण है, जहां वन कर्मचारियों के विरुद्ध पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया और मजेस्ट्रीयल जांच के बावजूद न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी। वहीं, माफियाओं के खिलाफ एफआईआर होने के बावजूद उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया।

राज्य वन कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि मुरैना पुलिस की कार्यवाही की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए और वन कर्मचारियों पर दर्ज किए गए हत्या के आरोप को वापस लिया जाए। साथ ही, वन कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए ठोस नीति बनाई जाए। अशोक पांडे, हरि सिंह गुर्जर, प्रेमलाल त्रिपाठी, नरेंद्र प्यासी, राजू उपाध्याय और लव प्रकाश पाराशर जैसे सदस्य इस मांग में शामिल हैं।

प्रदेश के वन बल प्रमुख द्वारा सरकार को वन कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए पत्र लिखना इस स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। यदि सरकार शीघ्र ही कोई ठोस नीति नहीं बनाती है, तो राज्य वन कर्मचारी संघ आंदोलन की राह अपनाने के लिए तैयार है।

“प्रदेश में वन माफिया द्वारा वन कर्मचारियों पर लगातार प्राणघातक हमले हो रहे हैं। राज्य वन कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री को सुरक्षा की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा।”

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