भोपाल। मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि **परंपरागत पैथी** सबसे श्रेष्ठ है। वे मानव संग्रहालय में “वाचिक परंपरा में प्रचलित हर्बल उपचार प्रणालियां: संरक्षण, संवर्धन और कार्य योजना” विषय पर आयोजित दो दिवसीय **अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन** पूर्व लोकमंथन के समापन समारोह में बोल रहे थे।
श्री परमार ने कहा कि आज के समय में लोग **एलोपैथी** पर अधिक निर्भर हो गए हैं, जबकि **परंपरागत चिकित्सा पद्धतियां** कहीं अधिक प्रभावी और स्थायी हैं। उन्होंने इन परंपराओं के दस्तावेजीकरण की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय परंपरागत ज्ञान देश की अमूल्य धरोहर है और इसे संरक्षित करने के लिए सरकार पूर्ण सहयोग प्रदान करेगी।
समापन के बाद, श्री परमार ने जनजातीय वैद्य शिविर का दौरा किया, जहां उन्होंने देशभर के 18 राज्यों से आए **जनजातीय समाज के पारंपरिक प्राकृतिक चिकित्सकों** से मुलाकात की।
सम्मेलन की अध्यक्षता और विभिन्न सत्रों का संचालन प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंदकुमार, माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेई, डॉ. पी. शशिकला, डॉ. सुनीता रेड्डी, और मानव संग्रहालय के निदेशक प्रो. अमिताभ पांडे ने किया।
यह सम्मेलन **प्रज्ञा प्रवाह**, **दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान** और **माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय** के सहयोग से आयोजित किया गया, जिसमें पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के संरक्षण और संवर्धन पर जोर दिया गया।