भोपाल। मध्यप्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 की मिलिंग नीति की समीक्षा बैठक के दौरान उपार्जन में पारदर्शिता और सुधार के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए। उन्होंने कहा कि प्रमुख सचिव और आयुक्त उपार्जन केंद्रों का औचक निरीक्षण करें और गड़बड़ी रोकने के लिए उड़नदस्ता टीम बनाई जाए। श्री राजपूत ने जोर देकर कहा कि लापरवाही पाए जाने पर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
मुख्य निर्देश:
1. औचक निरीक्षण:
प्रमुख सचिव और आयुक्त नियमित रूप से उपार्जन केंद्रों का निरीक्षण करें।
2. उड़नदस्ता गठन:
उपार्जन में किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए उड़नदस्ता निगरानी करेगा।
3. मिलर्स को सुविधा:
मिलर्स को अनुबंध और डिलीवरी ऑर्डर अब ऑनलाइन जारी किए जाएंगे।
4. सर्वेयर पर निगरानी:
उपार्जन कार्य में लगे सर्वेयरों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जाए।
5. गुणवत्ता सुनिश्चित करना:
भारतीय खाद्य निगम को उच्च गुणवत्ता वाले चावल की आपूर्ति का निर्देश।
ऑनलाइन अनुबंध और डिलीवरी ऑर्डर:
इस बार मिलर्स के लिए धान उठाव और सीएमआर (चावल) अनुबंध ऑनलाइन जारी होंगे। डिलीवरी ऑर्डर (डीओ) प्रबंधक के डिजिटल हस्ताक्षर से जारी किया जाएगा। नई व्यवस्था से मिलर्स का समय बचेगा, क्योंकि पहले डीओ प्राप्त करने में दो-तीन दिन लगते थे।
20 दिन में मानक स्तर का चावल जमा करना अनिवार्य:
प्रस्तावित मिलिंग नीति 2024-25 के तहत मिलर्स को 20 दिनों के भीतर मानक स्तर का चावल जमा करना होगा। यदि ऐसा नहीं होता है, तो:
जुर्माना: 2 रुपये प्रति दिन।
एक महीने की देरी: प्रतिभूति राशि जब्त की जाएगी।
चार जिलों में नई व्यवस्था:
आयुक्त खाद्य सिबि चक्रवर्ती ने बताया कि इस बार शहडोल, अनूपपुर, डिंडोरी और बैतूल जिलों में उपार्जन कार्य एनसीसीएफ (नेशनल कंज्यूमर कोऑपरेटिव फेडरेशन) द्वारा किया जाएगा। अन्य जिलों में नागरिक आपूर्ति निगम (नॉन) उपार्जन कार्य करेगा।
बैठक में उपस्थिति:
बैठक में प्रमुख सचिव खाद्य श्रीमती रश्मि अरुण शमी, आयुक्त खाद्य सिबि चक्रवर्ती, और नागरिक आपूर्ति निगम के एमडी पी.एन. यादव सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।