नई दिल्ली/उत्तर प्रदेश: देशभर में धार्मिक स्थलों से बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को लेकर एक नया मामला सामने आया है। एक महिला वकील ने शिकायत की है कि उनके क्षेत्र में स्थित मंदिर में सुबह-शाम तेज आवाज में लाउडस्पीकर से भक्ति गीत बजाए जाते हैं, जिससे उन्हें माइग्रेन (सिरदर्द) की गंभीर समस्या हो गई है। महिला वकील का आरोप है कि उन्होंने पुलिस प्रशासन को कई बार शिकायत दी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
लाउडस्पीकर से मोबाइल कनेक्ट कर होती है ‘डिजिटल भक्ति’:
शिकायतकर्ता महिला का कहना है कि आजकल गाँव-शहर हर जगह छोटे-बड़े मंदिरों में लाउडस्पीकर को मोबाइल से जोड़कर डिजिटल पूजा-पाठ किया जा रहा है। सुबह और शाम करीब 4-4 घंटे तक फुल वॉल्यूम पर भजन बजते हैं, जिसकी आवाज 4-5 किलोमीटर तक सुनाई देती है।
धार्मिक आस्था बनाम सार्वजनिक स्वास्थ्य:
महिला वकील ने सवाल उठाया है कि धार्मिक आस्था का सम्मान अपनी जगह है, लेकिन क्या यह किसी की स्वास्थ्य हानि का कारण बन सकती है? उन्होंने यह भी कहा, “अगर भक्ति करनी है तो अपने मुंह से करो, लाउडस्पीकर की जरूरत क्यों?”
ध्वनि प्रदूषण पर सख्त नियमों की मांग:
उन्होंने मांग की है कि ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) पर सख्त नियम बनाकर मंदिर, मस्जिद, शादी-ब्याह, राजनीतिक रैली और प्रचार जैसे सभी आयोजनों पर नियंत्रण लगाया जाए। उनका कहना है कि माइग्रेन जैसी बीमारियां तेज ध्वनि की वजह से आम होती जा रही हैं, और इसका प्रभाव बच्चों, बुजुर्गों और मरीजों पर भी पड़ रहा है।
सामाजिक बहस की जरूरत:
महिला वकील ने यह भी जोड़ा कि हिंदू शादियों में अश्लील गानों का चलन एक नई समस्या बन गया है, जबकि अन्य धर्मों में ऐसा नहीं देखने को मिलता। इस विषय पर समाज में खुले संवाद और नियमबद्ध नियंत्रण की आवश्यकता है ताकि आस्था और सार्वजनिक हित दोनों का संतुलन बना रहे।
मंदिर में लाउडस्पीकर से ध्वनि प्रदूषण की शिकायत
महिला वकील को माइग्रेन, पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप
मोबाइल से जुड़े लाउडस्पीकर से डिजिटल भक्ति
Noise Pollution कानून की मांग
धार्मिक कार्यक्रमों में तेज आवाज पर रोक की ज़रूरत
लाउडस्पीकर की तेज आवाज से महिला वकील को माइग्रेन, मंदिरों में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण पर उठाए गंभीर सवाल
