मध्यप्रदेश बना देश का पहला राज्य, जहां पुलिस प्रशिक्षण में शामिल होगी साइन लैंग्वेज

*भोपाल।** मध्यप्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पुलिस प्रशिक्षण प्रक्रिया में साइन लैंग्वेज को शामिल करने का फैसला किया है, जिससे दिव्यांगजनों के साथ संवाद करना आसान हो सके। यह पहल **दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016** के प्रावधानों के तहत की गई है और मध्यप्रदेश ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य पुलिसकर्मियों को साइन लैंग्वेज की जानकारी देना है ताकि वे सुनने और बोलने में असमर्थ दिव्यांगजनों की समस्याओं को बेहतर तरीके से समझ सकें और उनके साथ संवेदनशीलता से पेश आ सकें।

**आयुक्त नि:शक्तजन कल्याण की भूमिका अहम**

इस पहल को लागू करने में **आयुक्त नि:शक्तजन कल्याण, श्री संदीप रजक** की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत इस दिशा में सार्थक कदम उठाने के निर्देश दिए, ताकि दिव्यांगजन विपत्ति के समय अपनी बात पुलिस और प्रशासन के सामने आसानी से रख सकें। अक्सर देखा जाता है कि सुनने और बोलने में असमर्थ व्यक्ति अपनी समस्याएं पुलिस अधिकारियों को ठीक से समझा नहीं पाते, जिससे कई बार गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।

**पुलिसकर्मियों को मिलेगा साइन लैंग्वेज का विशेष प्रशिक्षण**

इस नई पहल के तहत पुलिसकर्मियों को साइन लैंग्वेज का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे वे दिव्यांगजनों के साथ बेहतर संवाद कर सकें। इससे न सिर्फ दिव्यांगजनों के प्रति पुलिसकर्मियों की संवेदनशीलता बढ़ेगी, बल्कि एक समावेशी समाज बनाने में भी मदद मिलेगी।

**समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में कदम**

राज्य सरकार का मानना है कि इस पहल से दिव्यांगजनों के अधिकारों का सम्मान होगा और उनके साथ होने वाली किसी भी प्रकार की उपेक्षा को रोका जा सकेगा। इससे समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन आएगा, जिससे सभी नागरिकों को समान सुरक्षा और अधिकार मिलेंगे।

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