भोपाल।
मध्य प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने मिलर्स नीति और उपार्जन नीति की समीक्षा बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए कि अच्छा कार्य करने वाले मिलर्स को प्रोत्साहित किया जाएगा और लापरवाही बरतने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि नियमों का पालन न करने वाले मिलर्स की अमानत राशि राजसात करने से भी पीछे नहीं हटें। मंत्री ने मिलर्स को समय पर धान की मिलिंग पूरी कर चावल एजेंसियों को सौंपने के निर्देश दिए।
उपार्जन केंद्रों पर सुविधाओं की व्यवस्था अनिवार्य
मंत्री श्री राजपूत ने कहा कि किसानों के लिए उपार्जन केंद्रों पर सभी आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। उन्होंने निर्देश दिया कि केंद्रों की तस्वीरें मंगाकर उनकी स्थिति का आकलन किया जाए। क्वालिटी कंट्रोल पर जोर देते हुए सर्वेयर के कार्य पर नजर रखने और एक नया कैडर तैयार करने का प्रस्ताव बनाने के भी निर्देश दिए।
अवैध बिक्री रोकने की तैयारी:
मंत्री ने कहा कि पड़ोसी राज्यों से लाई जाने वाली उपज की अवैध बिक्री रोकने के लिए सख्त प्रबंध किए जाएं। उपार्जन केंद्रों पर उच्च गुणवत्ता वाले बारदाने का उपयोग हो और सभी नापतौल उपकरणों का प्रमाणीकरण सुनिश्चित किया जाए।
एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार को मिलेगा सहयोगात्मक वातावरण
खाद्य मंत्री ने कहा कि वर्ष 2024-25 की मिलिंग नीति जारी करने से पहले छोटे-बड़े मिलर्स और पहली बार शामिल हो रही एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार के लिए सहयोगात्मक वातावरण बनाया जाए। उपार्जन प्रक्रिया को आसान और प्रभावी बनाने के लिए वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन और नागरिक आपूर्ति निगम से एक-एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश भी दिए।
डिजिटल मैपिंग और पायलट प्रोजेक्ट की योजना
बैठक में बताया गया कि उपार्जन केंद्र से गोदाम तक डिजिटल मैपिंग कराई जाएगी, जिससे अनाज के परिवहन की सटीक जानकारी मिलेगी। साथ ही मंडला जिले में अनाज की सफाई मशीनों के उपयोग का पायलट प्रोजेक्ट शुरू होगा। सफलता के बाद यह व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू की जाएगी।
उपस्थित अधिकारी
बैठक में प्रमुख सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण श्रीमती रश्मि अरुण शमी, खाद्य आयुक्त सिबि चक्रवर्ती, एमडी नागरिक आपूर्ति निगम पीएन यादव, और एडिशनल एमडी वेयरहाउसिंग ओपी सनोडिया समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
खाद्य मंत्री द्वारा दिए गए निर्देश उपार्जन कार्य को अधिक प्रभावी और किसानों के लिए सुविधाजनक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। इन प्रयासों से प्रदेश में उपार्जन प्रक्रिया में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित होगी।