भोपाल। राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर 24 जनवरी को सामुदायिक पुलिसिंग विभाग, पुलिस मुख्यालय के तत्वावधान में क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र के सभागार में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सामुदायिक पुलिसिंग) श्रीमती मीनाक्षी शर्मा थीं। इस आयोजन में पुलिस विभाग, यूनिसेफ, आरंभ संस्था और अन्य गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ 500 से अधिक बालक-बालिकाओं ने भाग लिया।
महिलाओं और बालिकाओं के सशक्तिकरण पर जोर
श्रीमती मीनाक्षी शर्मा ने कहा कि हर दिन बालिका दिवस होना चाहिए। उन्होंने महिलाओं और बालिकाओं को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी महिला या बालिका के साथ हिंसा और भेदभाव को समाप्त करना हमारा साझा दायित्व है।
मार्शल आर्ट और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
कार्यक्रम के दौरान बालक-बालिकाओं ने मार्शल आर्ट का प्रदर्शन कर आत्मरक्षा के महत्व को रेखांकित किया। इसके साथ ही, नाटक, गीत-संगीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से शिक्षा और तकनीकी कौशल से आत्मनिर्भरता का संदेश दिया गया।
सामुदायिक पुलिसिंग की भूमिका
पीएसओ टू डीजीपी श्री विनीत कपूर ने सामुदायिक पुलिसिंग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पुलिस और जनता के समन्वय से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। यूनिसेफ और अन्य संस्थाओं के सहयोग से चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों की सराहना की गई।
वैज्ञानिक और तकनीकी जागरूकता पर चर्चा
कार्यक्रम में बच्चों को तकनीकी और वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करने पर चर्चा हुई। क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र ने भविष्य में ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन की योजना बनाई है, जो बच्चों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाकर आत्मनिर्भर बनाएंगे।
पुलिसकर्मियों और संस्थाओं का सम्मान
कार्यक्रम में 17 पुलिसकर्मियों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इनमें सूबेदार ऋतुराज और उपनिरीक्षक अर्चना तिवारी भी शामिल हैं। इन पुलिसकर्मियों को समाज और पुलिस के बीच दूरी कम करने के लिए “आदर्श पुलिसकर्मी” के रूप में सम्मानित किया गया।
समुदाय की प्रतिक्रिया
आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग की बस्तियों से आई बालिकाओं ने बताया कि पुलिसकर्मियों के प्रयासों से वे अब निर्भीक होकर स्कूल और कॉलेज जा रही हैं। डायल 100 सेवा और थानों से मिलने वाली मदद में सुधार हुआ है, जिससे महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में कमी आई है।