भोपाल: भारतीय नर्सिंग काउंसिल के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने मध्यप्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने बताया कि एएनएम कोर्स की मान्यता के लिए काउंसिल ने केवल एक दिन के लिए पोर्टल खोला, लेकिन काउंसलिंग पहले ही शुरू कर दी गई, जो छात्रों के हितों के खिलाफ है और इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है।
एनएसयूआई की चिंता: छात्रों के अधिकारों का हनन
रवि परमार ने कहा कि पोस्ट बीएससी और एमएससी नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता सूची सार्वजनिक किए बिना ही काउंसलिंग की जा रही है, जो छात्रों के अधिकारों का उल्लंघन है। इसके अलावा, काउंसलिंग प्रक्रिया में अनियमितताएँ और पारदर्शिता की कमी भी स्पष्ट रूप से सामने आई है।
नए नियमों पर सवाल
परमार ने यह भी आरोप लगाया कि नर्सिंग काउंसिल ने बिना पर्याप्त जानकारी और पारदर्शिता के पोस्ट बीएससी और एमएससी नर्सिंग के प्रवेश नियमों में बदलाव किए। उन्होंने कहा कि चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा पहले ही नियमों में त्रुटियाँ की गई थीं, जिसके कारण एक महीने के भीतर नियमों में बदलाव करना पड़ा। वहीं, जीएनएम कोर्स के लिए नए नियमों में बदलाव न होने पर भी सवाल उठाए गए, जिसमें 12वीं में जीवविज्ञान को अनिवार्य कर दिया गया है, जो नर्सिंग में प्रवेश के लिए कई छात्रों को बाधित कर रहा है।
मप्र नर्सिंग काउंसिल पर आरोप
रवि परमार ने यह भी आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल के अधिकारी भारतीय नर्सिंग काउंसिल के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं और मनमाने तरीके से नियमों में बदलाव कर रहे हैं, जिससे छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि 24 दिसंबर 2024 को नियमों में बदलाव किया गया था और फिर 23 जनवरी 2025 को दोबारा बदलाव किए गए, जो इस बात का संकेत है कि काउंसिल के अधिकारियों ने बिना अनुभव और सुझावों के नियम बनाए थे।
पोस्ट बीएससी और एमएससी नर्सिंग के नियमों में बदलाव
नए नियमों में पोस्ट बीएससी के लिए 12वीं में जीवविज्ञान, भौतिक और रसायन शास्त्र अनिवार्य नहीं किया गया है, जबकि पुराने नियम में यह अनिवार्य था। इसके साथ ही, जीएनएम और नर्सिंग रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया गया है। एमएससी नर्सिंग में न्यूनतम प्रतिशत 55% किया गया है, जबकि पहले यह 50% था और कार्य अनुभव को भी जोड़ा गया है।
एनएसयूआई की प्रमुख मांगें
1. एएनएम कोर्स की काउंसलिंग को तुरंत रोका जाए, जब तक इसे नर्सिंग काउंसिल से विधिवत मान्यता न मिल जाए।
2. पोस्ट बीएससी और एमएससी नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता सूची सार्वजनिक की जाए।
3. नर्सिंग काउंसिल द्वारा प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
4. भारतीय नर्सिंग काउंसिल के नियमों को तत्काल लागू किया जाए।
एनएसयूआई ने चेतावनी दी है कि यदि इन अनियमितताओं को ठीक नहीं किया गया, तो व्यापक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। रवि परमार ने कहा, “छात्रों के भविष्य से समझौता नहीं किया जाएगा, और एनएसयूआई हमेशा छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए तत्पर रहेगा।”