नर्सिंग घोटाले के व्हिसलब्लोअर रवि परमार को मिली एमएससी नर्सिंग प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की अनुमति, हाईकोर्ट का अहम फैसला

हाईकोर्ट ने छात्र नेता रवि परमार को परीक्षा में शामिल होने की दी अनुमति, फिजिकल फॉर्म भरने का आदेश

भोपाल। नर्सिंग घोटाले का पर्दाफाश करने वाले एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। बुधवार को जस्टिस संजीव सचदेवा और विनय सराफ की डबल बेंच ने सुनवाई करते हुए परमार को एमएससी नर्सिंग प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी। अदालत ने मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) को निर्देश दिया कि वह परमार का फिजिकल फॉर्म स्वीकार करे और उन्हें परीक्षा में बैठने दे। इस मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर 2024 को होगी।

एफआईआर के बावजूद परीक्षा से नहीं रोका जा सकता: अदालत

परमार के अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता पर दर्ज मामलों में से कोई भी नैतिक अधमता से संबंधित नहीं है। जस्टिस सचदेवा ने स्पष्ट किया कि सिर्फ लंबित एफआईआर के आधार पर किसी छात्र को परीक्षा से वंचित करना संविधान में शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। अदालत ने यह भी कहा कि परमार पर दर्ज मामलों में अब तक कोई दोषसिद्धि नहीं हुई है।

सरकार की एफआईआर को बताया राजनीति से प्रेरित

मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल द्वारा आयोजित इस प्रवेश परीक्षा में परमार को सरकार द्वारा उनके खिलाफ दर्ज मामलों के कारण परीक्षा में बैठने से रोका जा रहा था। नियमावली के अनुसार, जिन उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, उन्हें परीक्षा में शामिल होने से अयोग्य घोषित किया गया था। परमार ने दावा किया कि ये एफआईआर नर्सिंग घोटाले का खुलासा करने और छात्र आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाने के चलते दर्ज की गई हैं।

दिग्विजय सिंह का समर्थन

पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्विटर पर सवाल उठाया था, “रवि परमार को युवाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष करने पर परीक्षा से रोकना कौन से कानून के तहत उचित है?”

रवि परमार की प्रतिक्रिया

हाईकोर्ट के फैसले के बाद रवि परमार ने इसे सभी छात्रों की जीत बताया। उन्होंने कहा, “यह फैसला उन सभी छात्रों के लिए एक संदेश है जिनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। शिक्षा का अधिकार सबके लिए समान होना चाहिए। मैं माननीय अदालत और मेरे अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय का आभारी हूं जिन्होंने मेरे भविष्य की चिंता की।”

परमार ने यह भी कहा कि उनके खिलाफ दर्ज झूठे मामलों में भविष्य में उन्हें न्याय की उम्मीद है। उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि ये मुकदमे छात्र नेताओं को डराने के उद्देश्य से दर्ज किए गए हैं और इनका कोई ठोस आधार नहीं है।

निष्कर्ष

हाईकोर्ट का यह फैसला न सिर्फ रवि परमार बल्कि उन छात्रों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिन्हें बिना दोष सिद्ध हुए शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। अदालत ने अपने निर्देश में यह भी स्पष्ट किया कि परमार को अनुमति बिना किसी पूर्वाग्रह के दी गई है और अंतिम निर्णय अदालत बाद में करेगी।

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