शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय भोपाल में “जीवन के नैतिक मूल्य एवं शिष्टाचार” पर कार्यक्रम का आयोजन

भोपाल। शासकीय कला एवं वाणिज्य (नवीन) महाविद्यालय, भोपाल में 9 अक्टूबर 2024 को “जीवन के नैतिक मूल्य एवं शिष्टाचार” विषय पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह आयोजन भारतीय ज्ञान परंपरा की त्रैमासिक गतिविधियों के तहत किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. माया दुबे को आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. शोभना जैन ने किया, जिन्होंने डॉ. माया दुबे का शाल और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया।

डॉ. माया दुबे ने अपने वक्तव्य में भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को वेद, पुराण, उपनिषद और आरण्यक जैसे प्राचीन ग्रंथों के संदर्भ में समझाया। उन्होंने कहा कि इन ग्रंथों में न केवल ज्ञान और विज्ञान की परंपरा को संरक्षित किया गया है, बल्कि जीवन के नैतिक मूल्यों और शिष्टाचार का भी विशद वर्णन है। उन्होंने गुरुकुल प्रणाली का उल्लेख करते हुए बताया कि किस प्रकार गुरु और शिष्य के बीच एक नैतिक मर्यादा होती थी, जिसे आज भी अपनी संस्कृति में देखा जा सकता है।

उन्होंने कहा, “भाषा के बिना मानव समाज पशु-पक्षियों के समान है। भाषा ही वह माध्यम है जो हमारे विचारों और भावों को सशक्त रूप में अभिव्यक्त करती है। यदि भाषा न होती, तो हमारे विचार समुद्र की लहरों की तरह आते और चले जाते। मानव संस्कृति की श्रेष्ठता का आधार उसकी भाषा ही है।”

इस अवसर पर प्राचार्य ने मुख्य वक्ता के विचारों की सराहना करते हुए विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान परंपरा को समझने और आत्मसात करने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुरेखा उमाड़े ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अश्विनी कुमार (अतिथि विद्वान, हिंदी) ने किया।

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