भोपाल: ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स और अस्थाई कर्मचारी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने कहा कि दिवाली से पहले मुख्यमंत्री द्वारा आउटसोर्स और अस्थाई कर्मचारियों को वेतन देने की घोषणा और प्रमुख सचिवों के आदेश भी कर्मचारियों तक वेतन पहुँचाने में असफल रहे। इस कारण प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को कर्ज लेकर त्यौहार मनाना पड़ा। उन्होंने बच्चों के लिए मिठाई और पटाखे तो लाए, लेकिन नए कपड़े लेने की उनकी इच्छा अधूरी रह गई। स्कूलों, छात्रावासों, पंचायतों के चपरासियों, चौकीदारों और निकायों के सफाई कर्मियों तक को सरकार वेतन दिलाने में नाकाम रही। ग्राम पंचायतों में काम करने वाले चौकीदार, भृत्य, पंप ऑपरेटर और सफाई कर्मचारियों को भी वेतन नहीं मिल पाया।
त्यौहार पर कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन
शर्मा ने बताया कि दिवाली के दिन ग्वालियर और रीवा सहित कई जिलों में अस्पताल कर्मचारियों ने हड़ताल की। प्रमुख सचिवों के वेतन आदेशों का पालन न होने के चलते जिलों में कलेक्टरों को ज्ञापन भी दिए गए। बावजूद इसके, कंपनी प्रबंधन और अधिकारियों ने आदेशों की अनदेखी करते हुए कर्मचारियों को नौकरी से निकालने तक की धमकी दी। रीवा में मेडिकल कॉलेज के पांच कर्मचारियों को निकाल दिया गया, जबकि बैतूल में जिला अस्पताल की महिला कर्मचारी को वेतन मांगने पर गाली-गलौज का सामना करना पड़ा।
शिक्षा विभाग में भी वेतन से वंचित रहे कर्मचारी
दिवाली से पहले वेतन देने के मुख्यमंत्री के आदेश का शिक्षा विभाग में भी पालन नहीं हुआ। इस विभाग में बड़ी संख्या में आउटसोर्स कर्मचारी जैसे कंप्यूटर ऑपरेटर, चौकीदार, सफाईकर्मी, रसोइये आदि काम करते हैं, जो वेतन से वंचित रह गए। डीपीआई ने इन कर्मचारियों को दिवाली से पहले वेतन देने का आदेश जारी किया था, लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया।
स्वास्थ्य और आयुष विभाग में भी वेतन संकट
वासुदेव शर्मा के अनुसार, जिला अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और आयुष विभाग में योग प्रशिक्षक, वार्ड ब्वाय, सुरक्षा गार्ड और सफाईकर्मियों को भी महीनों से वेतन नहीं मिला है। एनआरएचएम के एमडी ने समय पर वेतन देने का आदेश जारी किया, लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ। एंबुलेंस 108 सेवा के ड्राइवर और स्टाफ भी वेतन से वंचित रहे।
इस दिवाली पर प्रदेश के लाखों आउटसोर्स और अस्थाई कर्मचारियों ने कर्ज लेकर त्यौहार मनाया, लेकिन सरकार की घोषणा केवल कागजों में ही सीमित रही।