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सेवानिवृत्ति के बाद पुनर्नियुक्ति का विरोध, बेरोजगार युवाओं के समर्थन में प्रदर्शन की चेतावनी

भोपाल। सेवानिवृत्त अर्द्ध शासकीय अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन ने सरकारी और अर्द्ध-सरकारी विभागों में सेवानिवृत्ति के बाद पुनर्नियुक्ति की प्रथा का कड़ा विरोध करते हुए इसे तुरंत समाप्त करने की मांग की है। फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष अनिल बाजपेई और महासचिव अरुण वर्मा ने कहा कि सरकारी और सहकारी संस्थाओं में बड़ी संख्या में 63 से 75 वर्ष के सेवानिवृत्त कर्मचारी पुनर्नियुक्ति पर कार्यरत हैं, जिसके कारण युवाओं को रोजगार के अवसर नहीं मिल पा रहे हैं और प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या गहराती जा रही है।

बाजपेई और वर्मा का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार इस पुनर्नियुक्ति प्रथा को बढ़ावा दे रही है, क्योंकि नए कर्मचारियों की भर्ती पर खर्च अधिक होता है। यदि नए नियुक्त कर्मचारी को ₹50,000 का वेतन देना हो, तो सरकार पुनर्नियुक्त कर्मचारियों से ₹10,000 में काम करवा रही है, जो बेरोजगार युवाओं के साथ अन्याय है। इस नीति से युवाओं में असंतोष बढ़ रहा है।

सीधी भर्ती की मांग, नहीं तो धरना प्रदर्शन
फेडरेशन के नेताओं ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से अपील की है कि शासकीय और अर्द्ध-शासकीय संस्थाओं में रिक्त पदों पर सीधी भर्ती की जाए और पुनर्नियुक्ति प्रथा को समाप्त किया जाए। यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो फेडरेशन चरणबद्ध तरीके से सभी सरकारी और सहकारी संस्थानों में धरना-प्रदर्शन करेगा। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि प्रदर्शन शुरू होते हैं, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी।

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