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ग्वालियर-भिंड हाईवे की दुर्दशा: सांसद संध्या राय पर उठ रहे सवाल

पुखराज भटेले, संस्थापक – व्यवस्था परिवर्तन

भिंड ।  लोकसभा में अध्यक्ष की कुर्सी संभालना गर्व की बात है, लेकिन क्या जनता के मुद्दों पर काम करना उससे भी जरूरी नहीं? सांसद संध्या राय की तस्वीर लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर दिख रही है, लेकिन उनके संसदीय क्षेत्र ग्वालियर-भिंड हाईवे की बदहाल स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है। क्या सांसद जनता के विकास कार्यों में भी इतनी ही गंभीरता दिखा रही हैं?

ग्वालियर-भिंड हाईवे: 10 साल बाद भी अधूरा विकास

गड्ढों से भरी सड़क, जानलेवा दुर्घटनाएं, और लंबे समय से अधूरा पड़ा हाईवे – जनता से किए गए वादे महज कागज़ों पर सिमट कर रह गए हैं। नितिन गडकरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया और खुद संध्या राय ने कई बार हाईवे निर्माण के दावे किए, लेकिन आज भी सड़क की हालत दयनीय है।

वादे बड़े, हकीकत शून्य!

नेताओं ने मंच से बड़ी-बड़ी घोषणाएं कीं।

बजट आवंटन की बात हुई, लेकिन काम नहीं हुआ।

हाईवे की जर्जर हालत से जनता त्रस्त, दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं।


अगर सांसद जनता के लिए हाईवे तक नहीं बनवा सकीं, तो उनकी संसद में मौजूदगी का क्या मतलब?

एक सांसद का असली दायित्व जनता की समस्याओं का समाधान कराना होता है, लेकिन संध्या राय का कार्यकाल सवालों के घेरे में है।

जनता के बड़े सवाल:

1. क्या सांसद महोदया सिर्फ पद की शोभा बढ़ाने के लिए हैं, या वास्तव में विकास कार्यों में रुचि लेंगी?

2. जब 10 साल में एक हाईवे नहीं बना, तो बाकी विकास कार्यों की क्या उम्मीद करें?

3. क्या जनता को निष्क्रिय नेतृत्व को दोबारा मौका देना चाहिए?

अब जनता को फैसला करना होगा!

सम्मान पद से नहीं, काम से मिलता है। अगर सांसद जनता के मुद्दों पर ध्यान नहीं देंगी, तो जनता 2024 के चुनाव में जवाब देना जानती है।

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