भोपाल। । एम्स भोपाल की फॉरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग की पीएचडी शोधार्थी सुश्री अश्विनी चंद्रन ने अमेरिकन एकेडमी ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज (AAFS) के 77वें वार्षिक वैज्ञानिक सम्मेलन (बाल्टीमोर, अमेरिका) में ऑटोप्सी में सेप्सिस के लिए प्रोकेल्सीटोनिन (PCT) के उपयोग पर एक नवीन और साक्ष्य-आधारित अध्ययन प्रस्तुत किया।
सेप्सिस से मौतों की सटीक पहचान में महत्वपूर्ण शोध
सुश्री चंद्रन के शोध ने सेप्सिस-सम्बंधित मौतों की सही पहचान के लिए मानकीकृत प्रक्रियाओं की आवश्यकता को उजागर किया है। उनके अध्ययन के अनुसार, प्रोकेल्सीटोनिन (PCT), जो नैदानिक सेप्सिस का एक विश्वसनीय बायोमार्कर है, पोस्टमार्टम जांच में भी उपयोगी साबित हो सकता है।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष:
फॉरेंसिक जांच में प्रोकेल्सीटोनिन (PCT) को एक प्रभावी पॉइंट-ऑफ-केयर टूल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। सेप्सिस से हुई मौतों की सटीक पहचान के लिए मानकीकृत प्रक्रियाओं की जरूरत। शोध एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) की निगरानी, सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति निर्माण और अस्पताल-प्राप्त संक्रमणों की रोकथाम में सहायक हो सकता है।
एम्स भोपाल के लिए गौरवपूर्ण उपलब्धि
एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि “यह एम्स भोपाल के लिए अत्यंत गर्व की बात है कि हमारे संस्थान में इतना प्रभावशाली और व्यावहारिक अनुसंधान किया जा रहा है। यह अध्ययन न केवल फॉरेंसिक जांच को सुदृढ़ करेगा, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य में भी अहम योगदान देगा।”
एम्स भोपाल: भारत में अग्रणी शोध संस्थान
यह शोध पूरे भारत में केवल एम्स भोपाल में किया जा रहा है, जो संस्थान की अग्रणी चिकित्सा अनुसंधान क्षमताओं को दर्शाता है। प्रो. अर्नीत अरोड़ा के मार्गदर्शन और संस्थान के नेतृत्व के सहयोग से यह शोध सफलता पूर्वक पूरा किया गया।
एम्स भोपाल की शोधकर्ता ने वैश्विक मंच पर पेश किया सेप्सिस निदान पर अग्रणी अध्ययन
