भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषंगी संगठन संस्कार भारती द्वारा आयोजित एक पत्रकार वार्ता में भारतीय हास्य परंपरा के संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता पर बल दिया गया। इस अवसर पर प्रसिद्ध सिने अभिनेता और रंगकर्मी श्री राजीव वर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि भारत की प्राचीन नाट्य परंपरा विश्व की सबसे समृद्ध और दीर्घकालिक परंपराओं में से एक है। इसकी आधारशिला भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में रखी गई, जिसमें हास्य रस को महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया गया।
हास्य रस न केवल मनोरंजन का साधन रहा है, बल्कि भारतीय समाज में लोकशिक्षा, संस्कार, और सामाजिक चेतना का संवाहक भी बना है। चाहे वह संस्कृत नाटकों का सौम्य हास्य, संतों के दोहे, या लोककला परंपराओं जैसे थेरीकूट्ट, तमाशा, जात्रा, स्वांग और नौटंकी हों, हास्य ने सदैव आत्मचिंतन और सामाजिक सुधार को प्रेरित किया है।
स्टैंड अप कॉमेडी: आधुनिक युग में हास्य की दिशा में चुनौती
आज के डिजिटल युग में स्टैंड अप कॉमेडी भारतीय हास्य परंपरा की एक आधुनिक अभिव्यक्ति के रूप में उभरी है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित स्टैंड अप कॉमेडी तेजी से युवाओं को आकर्षित कर रही है। हालांकि, हाल के वर्षों में इसकी विषयवस्तु और प्रस्तुति के स्तर में गिरावट देखी गई है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में कुछ कलाकार धार्मिक प्रतीकों का उपहास, राष्ट्रनायकों की आलोचना, और सामाजिक प्रथाओं का मजाक उड़ाकर ‘त्वरित प्रसिद्धि’ हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। कई प्रस्तुतियों में केवल गालियों, यौन संकेतों और सांप्रदायिक टिप्पणियों के माध्यम से हँसी बटोरने का प्रयास किया जाता है, जिससे युवा दर्शकों में संवेदनशीलता और सांस्कृतिक सम्मान की भावना कमजोर हो रही है।
संस्कार भारती का दृष्टिकोण: हास्य कला का गरिमामय पुनर्निर्माण
संस्कार भारती की प्रबंधकारिणी ने इस प्रवृत्ति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय हास्य परंपरा की आत्मा को आधुनिक संदर्भ में पुनः प्रतिष्ठित करना आज की आवश्यकता है। हास्य को एक संवेदनशील, उत्तरदायी और गरिमामय कला रूप के रूप में विकसित करने के लिए प्रयास जरूरी हैं।
स्टैंड अप कॉमेडी को अशोभनीय विषयों से हटाकर, भारतीय संस्कृति और नैतिक मूल्यों पर आधारित बनाना, सकारात्मक संवाद, समाज सुधार और आत्मचिंतन को बढ़ावा देना समय की माँग है।
संस्कार भारती का आह्वान है कि:
कलाकार अपनी अभिव्यक्ति में नैतिक विवेक और सांस्कृतिक चेतना का पालन करें।
दर्शक गुणवत्तापूर्ण और गरिमापूर्ण हास्य प्रस्तुतियों को प्रोत्साहन दें और फूहड़ता आधारित कार्यक्रमों का विरोध करें।
शासन और नीति-निर्माता हास्य कला को दिशा देने हेतु प्रशिक्षण, मंच, और संसाधन उपलब्ध कराएँ।
उपयुक्त विधिक प्रावधानों और दंडात्मक व्यवस्थाओं द्वारा इस क्षेत्र में अनुशासन और गुणवत्ता सुनिश्चित करें।
राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय होने का आह्वान
संस्कार भारती से जुड़े कलासाधकों और कार्यकर्ताओं से आग्रह किया गया है कि वे देशभर में संवेदनशील, प्रेरणादायी और सक्रिय भूमिका निभाएँ, ताकि हास्य विधा भारतीय संस्कृति, मूल्यों और गरिमा के अनुरूप विकसित हो सके।
पत्रकार वार्ता के दौरान मध्य भारत प्रांत के प्रचार प्रमुख डॉ. संदीप श्रीवास्तव, सह महामंत्री श्री कृष्ण गोपाल पाठक, और जिला महामंत्री नीरव प्रधान भी उपस्थित रहे। उन्होंने भी हास्य कला के उन्नयन और दिशा सुधार के लिए संगठित प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।
भारतीय हास्य कला में नैतिकता और संस्कृति की पुनर्स्थापना आवश्यक: स्टैंड अप कॉमेडी के गिरते स्तर पर संस्कार भारती की चिंता
