सहारा समूह पर निवेशकों से धोखाधड़ी का गंभीर आरोप, ईओडब्ल्यू ने प्रारंभिक जांच शुरू की

भोपाल। सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग कॉर्पोरेशन इन्वेस्टमेंट समूह पर निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगा है। इन आरोपों के तहत आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने प्रारंभिक जांच पंजीबद्ध की है। यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब निवेशकों की शिकायत के आधार पर दस्तावेजी साक्ष्य जुटाने की प्रक्रिया शुरू हुई।

सहारा सिटी परियोजना के नाम पर धन जुटाया गया

सहारा समूह ने विभिन्न शहरों में सहारा सिटी बनाने के उद्देश्य से निवेशकों से भारी मात्रा में धन जुटाया। समूह ने इस धन का उपयोग कर देशभर में भूमि खरीदने का कार्य किया।

वर्ष 2014 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सहारा समूह को यह आदेश दिया कि वे अपनी संपत्ति बेचकर निवेशकों की राशि वापस लौटाएं। अदालत ने इस प्रक्रिया के लिए एक सख्त गाइडलाइन भी जारी की, जिसके अनुसार विक्रय से प्राप्त राशि सीधे सेबी-सहारा रिफंड खाता (खाता संख्या 012210110003740, बैंक ऑफ इंडिया, ब्रांद्रा, मुंबई) में जमा की जानी थी।

भूमि विक्रय में गड़बड़ी के आरोप

सहारा समूह पर आरोप है कि उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए विक्रय से प्राप्त राशि का उपयोग निवेशकों के हित में न करके आंतरिक उद्देश्यों के लिए किया।

भूमि विक्रय की प्रक्रिया और विवादित मूल्यांकन

भोपाल (मक्सी): 110 एकड़ भूमि 48 करोड़ रुपये में मेसर्स सिनाप रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड को बेची गई।

जबलपुर: 100 एकड़ भूमि 20 करोड़ रुपये में मेसर्स नायसा देवबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड को बेची गई।

कटनी: 100 एकड़ भूमि 20 करोड़ रुपये में भी मेसर्स नायसा देवबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड को बेची गई।


सहारा समूह ने कुल 310 एकड़ भूमि को 90 करोड़ रुपये में बेचा। जबकि वर्ष 2014 में भोपाल के मक्सी में स्थित केवल 110 एकड़ भूमि का मूल्य 125 करोड़ रुपये आंका गया था। यह दिखाता है कि भूमि के वास्तविक मूल्यांकन में गड़बड़ी की गई और कम कीमत पर इसे बेचा गया।

सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन

न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिया था कि भूमि विक्रय से प्राप्त राशि सेबी के रिफंड खाते में जमा की जानी चाहिए। लेकिन सहारा समूह ने इस राशि को सेबी के खाते में जमा करने के बजाय निजी कंपनियों और शैल खातों में स्थानांतरित कर दिया।

निवेशकों की शिकायत पर कार्रवाई

भोपाल निवासी आशुतोष दीक्षित ने सहारा समूह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर ईओडब्ल्यू ने दस्तावेजी साक्ष्य एकत्रित करने और प्रारंभिक जांच शुरू करने का निर्णय लिया। इस जांच के दायरे में सहारा समूह के अधिकारी, भूमि विक्रय में शामिल कंपनियां, और संबंधित राजस्व अधिकारी शामिल हैं।

ईओडब्ल्यू की जांच में शामिल मुख्य बिंदु

1. विक्रय प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी: आरोप है कि भूमि को जानबूझकर कम कीमत पर बेचा गया।


2. विक्रय से प्राप्त राशि का दुरुपयोग: निवेशकों की राशि लौटाने के लिए इसे सेबी के खाते में जमा नहीं किया गया।


3. शैल कंपनियों और निजी खातों में ट्रांसफर: विक्रय से प्राप्त धन का उपयोग सहारा समूह के आंतरिक उद्देश्यों और अन्य कंपनियों के लिए किया गया।


4. न्यायालय के आदेशों की अवहेलना: सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों का पालन नहीं किया गया।


5. संपत्ति का विवादित मूल्यांकन: भूमि की वास्तविक कीमत छुपाई गई और उसे बाजार दर से कम पर बेचा गया।



निवेशकों के हितों पर संकट

सहारा समूह के इस मामले ने निवेशकों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर दिया है। निवेशक इस उम्मीद से धन लगाते हैं कि उन्हें समय पर लाभ मिलेगा, लेकिन इस तरह की धोखाधड़ी उनके विश्वास को ठेस पहुंचाती है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ ?

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, सहारा समूह पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं। अगर जांच में आरोप साबित होते हैं, तो यह न केवल समूह की साख को नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि न्यायालय के आदेशों की अवहेलना के लिए उन्हें कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा।

आगे की कार्रवाई

ईओडब्ल्यू अब दस्तावेजी साक्ष्य जुटा रही है और यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि दोषियों को उनके कृत्य के लिए दंडित किया जाए। इस जांच के नतीजे निवेशकों के हितों की रक्षा और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं।

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