IAS अधिकारी पर गंभीर आरोप: महिला अधिकारी का उत्पीड़न, अपमान, और गलत निलंबन

भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार के MSME सचिव और CEDMAP अध्यक्ष, आईएएस नवनीत मोहन कोठारी पर एक वरिष्ठ महिला अधिकारी का उत्पीड़न करने, मानसिक यातना देने और गलत तरीके से निलंबित करने का गंभीर आरोप लगा है। महिला अधिकारी श्रीमती अनुराधा सिंघई (CEDMAP की कार्यकारी निदेशक) ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र लिखकर इस पूरे मामले की जानकारी दी है और न्याय की मांग की है।

क्या है पूरा मामला?

श्रीमती अनुराधा सिंघई ने पत्र में बताया कि आईएएस कोठारी ने अपने पद और शक्ति का दुरुपयोग करते हुए उन्हें पहले मानसिक यातना दी, फिर बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक निलंबित कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि निलंबन के बाद उनका जीवन निर्वाह भत्ता भी रोक दिया गया, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है।

1. गलत निलंबन का आरोप: अनुराधा सिंघई ने बताया कि 16 अगस्त 2024 को उन्हें एक पत्र मिला, जिसमें उनसे एक दिन के भीतर करीब 1.5 लाख से अधिक दस्तावेजों की जानकारी मांगी गई। जब उन्होंने इसके लिए समय मांगा, तो 3 सितंबर 2024 को बिना किसी चेतावनी के उन्हें निलंबित कर दिया गया।


2. भ्रष्टाचार की साजिश: उन्होंने कहा कि निलंबन के तुरंत बाद उनके खिलाफ व्यक्तिगत शिकायतें दर्ज कर दी गईं, ताकि उन्हें पद से हटाकर पुराने भ्रष्टाचारियों को प्रमुख पदों पर बैठाया जा सके।


3. अमानवीय व्यवहार: निलंबन के बाद उनकी कार और ड्राइवर भी वापस ले लिए गए और कार्यालय के CCTV कैमरे भी बंद कर दिए गए, जो इस पूरे मामले को संदिग्ध बनाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उनका उद्देश्य सिर्फ उन्हें पद से हटाना था, ताकि भ्रष्टाचार की जांच न हो सके।


4. न्यायालय में गुमराह: अनुराधा ने बताया कि जब उन्होंने उच्च न्यायालय में निलंबन आदेश को चुनौती दी, तो अदालत में आठ वकीलों की टीम उनके खिलाफ खड़ी हो गई और मामले को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया।



अनुराधा सिंघई का कार्यकाल:

श्रीमती अनुराधा सिंघई ने बताया कि उनके आने से पहले CEDMAP वित्तीय संकट में था और कर्मचारियों को 10 महीनों तक वेतन नहीं मिला था। उन्होंने चार महीने के भीतर ही सभी कर्मचारियों को 14 महीने का बकाया वेतन दिलाया और संस्था को घाटे से निकालकर राज्य की नोडल एजेंसी बना दिया।

भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्यवाही:

अनुराधा सिंघई ने बताया कि उनके ईमानदार और पारदर्शी कार्यों के कारण कुछ भ्रष्ट अधिकारियों का सिंडिकेट उनके खिलाफ हो गया और उन्होंने गलत तरीकों से उन्हें हटाने की साजिश रची। उन्होंने राज्य की रोजगार और स्वरोजगार योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया, जिससे 50 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए।

मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार:

उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की है कि उनका गलत निलंबन आदेश रद्द कर उन्हें सम्मानपूर्वक उनके पद पर बहाल किया जाए। उनका कहना है कि अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को ही इस तरह से प्रताड़ित किया जाएगा, तो ईमानदार अधिकारियों का मनोबल टूटेगा और शासन में पारदर्शिता की उम्मीद नहीं की जा सकती।

इस मामले ने राज्य के प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है। देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री और राज्य सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है। क्या श्रीमती अनुराधा सिंघई को न्याय मिलेगा, या फिर एक और ईमानदार अधिकारी साजिश का शिकार हो जाएगा?

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