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एम्स भोपाल में ‘SoPICON 2025’ सम्मेलन: औषधि और उपकरण निगरानी पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी

भोपाल, । एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में, संस्थान के फार्माकोलॉजी विभाग और सोसाइटी ऑफ फार्माकोविजिलेंस, इंडिया (SoPI) के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘SoPICON 2025’ का आयोजन किया गया।

सम्मेलन का उद्घाटन एक ज्ञानवर्धक पूर्व-सम्मेलन कार्यशाला से हुआ, जिसमें देशभर से शोधकर्ताओं, चिकित्सकों और छात्रों ने भाग लिया। इस कार्यशाला का उद्देश्य औषधि निगरानी और उपकरण निगरानी के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कौशल और ज्ञान को बढ़ावा देना था।

मुख्य सत्र:

औषधि निगरानी अवलोकन: डॉ. रतींदर झाज (प्रोफेसर, फार्माकोलॉजी विभाग, एम्स भोपाल) ने औषधि निगरानी के महत्व और वर्तमान प्रथाओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान की।

उपकरण निगरानी अवलोकन: डॉ. शिल्पा एन. कौरे (प्रोफेसर, आरटीसी-मैटेरियोविजिलेंस समन्वयक, एम्स भोपाल) ने चिकित्सा उपकरणों की सुरक्षा और निगरानी के पहलुओं पर प्रकाश डाला।


फार्माकोविजिलेंस कार्यशाला:

कारण निर्धारण प्रशिक्षण: डॉ. एस.पी. धनेरिया (प्रोफेसर, आरजी गार्डी मेडिकल कॉलेज, उज्जैन) ने व्यावहारिक सत्र के माध्यम से कारण निर्धारण की प्रक्रिया पर प्रशिक्षण दिया।

विगीफ्लो प्रदर्शन: श्रीमती दीपा चौधरी (फार्माकोविजिलेंस एसोसिएट, एम्स भोपाल) ने विगीफ्लो सॉफ़्टवेयर का प्रदर्शन किया, जो दवाओं की सुरक्षा निगरानी में सहायक है।

MedDRA कोडिंग सत्र: डॉ. अनामिका दत्ता (मेडिकल ऑफिसर, MedDRA MSSO, बेंगलुरु) ने MedDRA कोडिंग की प्रक्रिया और उसके महत्व पर सत्र का संचालन किया।

MAH ICSRS प्रक्रिया प्रशिक्षण: श्री गिर्जेश विश्वकर्मा (गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल) ने MAH ICSRS की प्रक्रिया पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया।

PV डेटा सेट/सॉफ़्टवेयर प्रदर्शन: सुश्री मोलीशा सोनी (फिडेलिटी हेल्थ सर्विसेज) ने PV डेटा सेट/सॉफ़्टवेयर (PvEdge) का प्रदर्शन किया, जो दवाओं की सुरक्षा निगरानी में सहायक है।


मैटेरियोविजिलेंस कार्यशाला:

MDAE रिपोर्टिंग टूल्स और कारण निर्धारण सत्र: डॉ. अहमद नजमी (डिप्टी कोऑर्डिनेटर, आरटीसी-मैटेरियोविजिलेंस, एम्स भोपाल) ने MDAE रिपोर्टिंग टूल्स और कारण निर्धारण पर महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किया।

केस आधारित चर्चा: श्री मोहम्मद फैजान खान (MvPI रिसर्च एसोसिएट) ने केस आधारित चर्चा के माध्यम से वास्तविक जीवन के उदाहरणों पर विचार-विमर्श किया।

ADRMS सॉफ़्टवेयर प्रशिक्षण: डॉ. शत्रुंजय शुक्ला (सहायक वैज्ञानिक, IPC, गाजियाबाद) ने ADRMS सॉफ़्टवेयर पर व्यावहारिक सत्र प्रदान किया, जो दवाओं की सुरक्षा निगरानी में सहायक है।


विशेष सत्र:

अनुभव साझा सत्र: यूरोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देबाशीष कौशल, डर्मेटोलॉजी विभाग के सीनियर रेजिडेंट डॉ. फेबिन अशरफ, और रेडियोलॉजी विभाग के रेडियोग्राफर श्री अभिषेक शेरावत ने अपने अनुभव साझा किए, जिससे कार्यशाला को समृद्धि मिली।


इस सम्मेलन ने औषधि और उपकरण निगरानी के क्षेत्र में नवीनतम शोध, प्रथाओं और चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा की, जिससे प्रतिभागियों को महत्वपूर्ण जानकारी और कौशल प्राप्त हुआ।

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