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भोपाल में एम्स और सीएमएचओ द्वारा चिकित्सकों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित, स्नेक बाइट और रेबीज से बचाव पर फोकस

भोपाल. राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम और राष्ट्रीय सर्पदंश रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 5 नवंबर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), भोपाल में अर्धदिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में सरकारी और निजी स्वास्थ्य संस्थानों के चिकित्सक, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम और वन विभाग के अधिकारी शामिल हुए। एम्स के कौटिल्य भवन में आयोजित इस कार्यशाला में एम्स के विशेषज्ञों ने रेबीज और सर्पदंश से बचाव एवं उपचार पर विस्तृत जानकारी दी।

कार्यशाला को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ), भोपाल, डॉ. प्रभाकर तिवारी और एम्स के अधिकारियों ने संबोधित किया। मेडिसिन विभाग की प्रोफेसर डॉ. सीमा पी महंत, कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पंकज प्रसाद, और सर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कृष्ण कुमार ने प्रशिक्षण में मुख्य भूमिका निभाई।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में चिकित्सकों को रेबीज की रोकथाम के उपाय, पोस्ट एक्सपोजर प्रोफाइलेक्सिस, एंटी-रेबीज वैक्सीन का महत्व, जानवर के काटने पर घाव का सर्जिकल मैनेजमेंट, और रेबीज मामलों के डायग्नोसिस एवं क्लीनिकल मैनेजमेंट के बारे में समझाया गया। इसके अलावा, सर्पदंश के बचाव और उपचार के प्रोटोकॉल पर भी विस्तृत जानकारी दी गई। विशेषज्ञों ने जोर देकर कहा कि चिकित्सक अपने पास आने वाले मरीजों को अंधविश्वासों से बचने के लिए जागरूक करें, क्योंकि सांप के काटने के तुरंत बाद सही इलाज न मिलने से जान का खतरा रहता है।

प्रशिक्षण में इस बात पर भी जोर दिया गया कि सांप या कुत्ते के काटने पर बिना विलंब के नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा सहायता लेना अनिवार्य है। सांप के काटने पर प्रभावित स्थान को नहीं बांधना चाहिए और हिलाना-डुलाना नहीं चाहिए। वहीं, कुत्ते के काटने पर घाव को साबुन और बहते पानी से धोना चाहिए और तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल, डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि रेबीज एक गंभीर बीमारी है, लेकिन समय पर वैक्सीन लेकर इससे बचा जा सकता है। सरकारी अस्पतालों में रेबीज की वैक्सीन मुफ्त में उपलब्ध है। भोपाल के सभी शासकीय स्वास्थ्य संस्थानों में डॉग बाइट, स्नेक बाइट और रेबीज से संबंधित प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित किया जा रहा है, जिससे मरीजों को निशुल्क उपचार मिल सके।

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