एम्स भोपाल के छात्रों ने डेंगू और सार्स-कोव-2 निगरानी अनुसंधान में जीते प्रतिष्ठित पुरस्कार

संक्रामक रोगों की निगरानी और निदान में नवाचार के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिला सम्मान

भोपाल। एम्स भोपाल के छात्रों ने संक्रामक रोग निदान और निगरानी अनुसंधान में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते हैं।

MBBS द्वितीय वर्ष के छात्र कृष कौशल को डेंगू निदान पर शोध के लिए सर्वश्रेष्ठ पोस्टर पुरस्कार मिला।
सुश्री वृषाली डी. पाटिल को सार्स-कोव-2 निगरानी अनुसंधान के लिए “प्रो. नूरुल इस्लाम अवार्ड” से सम्मानित किया गया।

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा:
“युवा शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करना चिकित्सा विज्ञान और सार्वजनिक स्वास्थ्य की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। कृष कौशल और वृषाली डी. पाटिल का अभिनव कार्य संक्रामक रोगों के खिलाफ नवाचार की शक्ति को दर्शाता है। एम्स भोपाल ऐसे प्रभावशाली अनुसंधान को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है।”


कृष कौशल का डेंगू निदान पर शोध

पुरस्कार: सर्वश्रेष्ठ पोस्टर पुरस्कार (छात्र श्रेणी)
शोध विषय:
“ऑन-साइट वायरल लोड इम्प्लिकेशन फॉर प्रॉग्नोसिस ऑफ डेंगू डिजीज़ यूज़िंग मोबाइल फोन: ए सेमी-क्वांटिटेटिव टेस्ट बेस्ड ऑन एनएस1 इमेज एनालिसिस”

नवाचार:
यह शोध मोबाइल इमेजिंग और रंग विश्लेषण तकनीकों का उपयोग कर डेंगू निदान को अधिक सटीक और तेज बनाने पर केंद्रित है।
यह तकनीक एनएस1 एंटीजन स्तर के त्वरित मूल्यांकन में मदद करती है, जिससे गंभीर डेंगू मामलों की शीघ्र पहचान और प्रभावी उपचार योजना बनाई जा सकती है।

मार्गदर्शक विशेषज्ञ:
प्रो. (डॉ.) रश्मि चौधरी
प्रो. (डॉ.) जगत आर. कंवर
आशीष कुमार यादव

वृषाली डी. पाटिल का सार्स-कोव-2 निगरानी पर शोध

पुरस्कार: प्रो. नूरुल इस्लाम अवार्ड – सर्वश्रेष्ठ मौखिक प्रस्तुति
शोध विषय:
“सार्स-कोव-2 का स्टूल और सीवेज में सतत निगरानी: जीनोमिक प्रवृत्तियां और प्रकोप रोकथाम के लिए निहितार्थ”

शोध के प्रमुख निष्कर्ष:
सीवेज निगरानी एक प्रभावी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में कार्य कर सकती है, जिससे बिना लक्षण वाले वायरस प्रसार का जल्द पता लगाया जा सकता है।
यह शोध जनता के बड़े पैमाने पर संक्रमित होने से पहले सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को कार्रवाई करने में सक्षम बनाता है।

मार्गदर्शक विशेषज्ञ:
प्रो. (डॉ.) रश्मि चौधरी
प्रो. (डॉ.) जगत आर. कंवर (एम्स भोपाल)
डॉ. हरजीत सिंह मान (राज्य वायरोलॉजी लैब, GMC भोपाल)

अनुसंधान अनुदान:
इंट्राम्यूरल रिसर्च ग्रांट (एम्स भोपाल) और ICMR अनुदान द्वारा वित्त पोषित।

एम्स भोपाल: अनुसंधान और नवाचार का केंद्र

एम्स भोपाल अकादमिक उत्कृष्टता और अनुसंधान नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। संस्थान के इंट्राम्यूरल फंडिंग कार्यक्रमों के माध्यम से युवा शोधकर्ताओं को उन्नत अनुसंधान और तकनीकी विकास के लिए निरंतर समर्थन दिया जा रहा है। यह उपलब्धि न केवल एम्स भोपाल के छात्रों की प्रतिभा को दर्शाती है बल्कि संक्रामक रोगों से निपटने के लिए आधुनिक विज्ञान और तकनीक के महत्व को भी उजागर करती है।

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