नई दिल्ली: दिल्ली में वक़्फ़ से जुड़े मुद्दे को लेकर हाल ही में सांप्रदायिक भीड़ जुटी, लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ। इतिहास में पहले भी ऐसे जमावड़े कई बार हुए हैं, जब कुछ समूहों ने सड़कों पर उतरकर न्यायिक फैसलों और सरकारी नीतियों का विरोध किया।
ऐसे बड़े प्रदर्शन जो पहले हो चुके हैं:
1906, ढाका: अलग मुस्लिम राष्ट्र की मांग के लिए पहला बड़ा आयोजन।
1985: सुप्रीम कोर्ट द्वारा शाह बानो को गुजारा भत्ता देने के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन।
1987, दिल्ली: कोर्ट द्वारा राम मंदिर का ताला खोलने के फैसले के खिलाफ बोट क्लब पर बड़ा विरोध।
2019, शाहीन बाग: सीएए कानून के खिलाफ लंबा धरना प्रदर्शन।
अब सड़कों पर नहीं, संसद में होंगे फैसले
इतिहास में कुछ प्रदर्शन अपने मकसद में सफल रहे, लेकिन अब देश संविधान और संसद के आधार पर चलेगा, न कि सड़कों पर भीड़ के हंगामे से।
वक़्फ़ से जुड़ा नया विधेयक अभी आया भी नहीं है, फिर भी राजनीति के लिए विरोध शुरू कर दिया गया है।
किसी भी मुद्दे पर बात संसद में होगी, न कि सड़कों पर।
दिल्ली में वक़्फ़ मुद्दे पर प्रदर्शन: इतिहास में पहले भी हुए ऐसे जमावड़े
