गोहद। नगर पालिका गोहद में पीने के पानी की बुनियादी सुविधा भी एक गंभीर समस्या बन गई है। शहर की गरीब और मध्यम वर्गीय जनता दूषित और बदबूदार पानी इस्तेमाल करने को मजबूर है। वहीं, प्रशासन इस गंभीर समस्या पर चुप्पी साधे हुए है। झाग और गंदगी से भरे पानी की सप्लाई ने नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जल कर वसूली, लेकिन गंदा पानी
नगर पालिका दूषित पानी के बदले जनता से जबरन जल कर वसूल रही है। गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों पर दबाव बनाकर यह शुल्क लिया जा रहा है। सवाल उठता है कि क्या जनता को उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ के बदले भुगतान करना चाहिए?
गरीब जनता के पास विकल्प नहीं
गोहद की गरीब जनता के पास RO या बोतलबंद पानी खरीदने का आर्थिक साधन नहीं है। मजबूरी में उन्हें इस दूषित पानी का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, जो कई गंभीर बीमारियों का कारण बन रहा है।
दूषित पानी से बढ़ता स्वास्थ्य संकट
इस पानी के उपयोग से लोग डायरिया, पीलिया, पेट संबंधी बीमारियां और त्वचा रोग जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। बच्चों और बुजुर्गों पर इसका सबसे अधिक असर पड़ रहा है। प्रशासन की इस लापरवाही ने जनता के स्वास्थ्य को गंभीर संकट में डाल दिया है।
जनता के सवाल और अधिकार
1. क्या दूषित पानी के लिए जल कर वसूलना उचित है?
2. क्या प्रशासन का दायित्व नहीं है कि वह शुद्ध पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करे?
3. गंदे पानी के कारण होने वाली बीमारियों की जिम्मेदारी कौन लेगा?
4. क्या जनता को जल कर से छूट नहीं मिलनी चाहिए?
कठोर कदम उठाने की आवश्यकता
गोहद की जनता को संगठित होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठानी होगी।प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि शुद्ध और सुरक्षित पानी की सप्लाई हो। जब तक समस्या का समाधान नहीं होता, जल कर की वसूली पर रोक लगाई जाए। दूषित पानी की समस्या के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
प्रशासन की नाकामी
इस समस्या ने नगर पालिका की लापरवाही और उदासीनता को उजागर कर दिया है। दूषित पानी की सप्लाई और जबरन वसूली जनता के अधिकारों का उल्लंघन है। यह प्रशासन की विफलता का एक और प्रमाण है।
जनता की आवाज जरूरी
गोहद की जनता को अब जागरूक होकर इस समस्या के खिलाफ खड़ा होना होगा। शुद्ध पानी केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि हर नागरिक का अधिकार है। अब समय आ गया है कि हर नागरिक अपनी आवाज बुलंद करे और प्रशासन को जवाबदेह बनाए।