शिशु विकास की नींव: पहले हज़ार दिन के महत्व पर एम्स भोपाल का विशेष जोर

सही पोषण और देखभाल से शारीरिक, मानसिक और संज्ञानात्मक विकास को मिलेगी मजबूती

भोपाल ।। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के नेतृत्व में संस्थान मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए जागरूकता और अनुसंधान को बढ़ावा दे रहा है। बाल रोग विभाग की प्रमुख प्रो. (डॉ.) शिखा मलिक ने बताया कि शिशु के जीवन के पहले हज़ार दिन – गर्भाधान से लेकर दो वर्ष की आयु तक – सबसे महत्वपूर्ण होते हैं।

पहले हज़ार दिन क्यों महत्वपूर्ण हैं?

गर्भावस्था से लेकर दो साल की उम्र तक का समय शारीरिक, मानसिक और संज्ञानात्मक विकास के लिए निर्णायक होता है।
इस अवधि में सही पोषण और देखभाल से जीवनभर की सेहत, शिक्षा और समाज में योगदान का स्तर प्रभावित होता है।
वैज्ञानिक शोधों से साबित हुआ है कि इस दौरान पोषण की कमी से बच्चों में ठिगनापन (स्टंटिंग), कम वजन (वेस्टिंग) और मानसिक विकास में बाधाएं आ सकती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, इस अवधि में सही पोषण से बौद्धिक क्षमता (IQ) में वृद्धि होती है और भविष्य में रोगों का खतरा कम होता है।

गर्भावस्था में सही पोषण का महत्व

गर्भावस्था के पहले तीन सप्ताह में मस्तिष्क की तेज़ी से वृद्धि होती है।
फोलेट, विटामिन B12 और कोलीन की कमी से न्यूरल ट्यूब दोष (जैसे स्पाइना बिफिडा) का खतरा बढ़ सकता है।
डीएचए (DHA) और स्वस्थ वसा शिशु के दिमागी विकास में अहम भूमिका निभाते हैं।
माँ के आहार और जीवनशैली का शिशु की वृद्धि और रोग प्रतिरोधक क्षमता पर सीधा असर पड़ता है।

स्तनपान और पूरक आहार की भूमिका

जन्म के पहले छह महीने तक माँ का दूध शिशु के लिए सबसे उपयुक्त पोषण स्रोत है।
माँ का दूध आवश्यक अमीनो एसिड, फैटी एसिड और एंटीबॉडी प्रदान करता है, जिससे शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
छह महीने बाद पूरक आहार जैसे आयरन, जिंक और विटामिन B12 से भरपूर आहार शुरू करना ज़रूरी होता है।
12 से 24 महीने की अवधि में मस्तिष्क का तीव्र विकास होता है, इसलिए इस दौरान संतुलित आहार अनिवार्य है।

शोध और रिपोर्ट के निष्कर्ष

लैंसेट ग्लोबल हेल्थ रिपोर्ट के अनुसार, पोषण की कमी से प्रभावित बच्चों की वयस्क आय संभावनाएँ 20% तक कम हो सकती हैं।
शिशु के मस्तिष्क विकास में हिप्पोकैम्पस (स्मरण शक्ति केंद्र) की भूमिका अहम होती है, और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी से मानसिक विकारों का खतरा बढ़ जाता है।
प्रसिद्ध पत्रकार रोजर थुरो का कहना है, “अगर हम दुनिया को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो हमारे पास पहले हज़ार दिनों का समय है, माँ दर माँ, बच्चा दर बच्चा।”

एम्स भोपाल की पहल और प्रतिबद्धता

प्रो.  अजय सिंह ने कहा कि पहले हज़ार दिन सिर्फ एक शिशु के स्वास्थ्य के लिए नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
एम्स भोपाल इस दिशा में अनुसंधान और जागरूकता बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
संस्थान माताओं, डॉक्टरों और समुदाय के लोगों को शिक्षित करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।

जागरूकता संदेश:

गर्भावस्था के दौरान संतुलित आहार अपनाएं।
पहले छह महीने तक शिशु को केवल माँ का दूध पिलाएं।
छह महीने बाद पूरक आहार में पोषक तत्वों को शामिल करें।
समय-समय पर चिकित्सकीय परामर्श लें और शिशु की वृद्धि पर नज़र रखें।

एम्स भोपाल की यह पहल समाज में स्वस्थ और सशक्त भविष्य की नींव रखने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।

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