गोहद की सड़कों पर बेसहारा गौमाता: ठंड और भूख से बेहाल, नगर पालिका की लापरवाही उजागर

रिपोर्ट : पुखराज भटेले, गोहद

गोहद: कड़कड़ाती ठंड और शीतलहर के बीच गोहद नगर की सड़कों पर बेसहारा गौवंश दम तोड़ने को मजबूर हैं। सरकार और प्रशासन द्वारा गौमाता की सुरक्षा और देखभाल के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन नगर पालिका की लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से इन दावों की असलियत सड़कों पर दिख रही है। ठंड और भूख से बेहाल गौमाताएं स्थानीय प्रशासन की संवेदनहीनता पर सवाल खड़े कर रही हैं।

भूख और ठंड से जूझती गौमाता: प्रशासन का असंवेदनशील चेहरा

गोहद नगर पालिका द्वारा बनाई गई गौशालाएं केवल कागजों पर ही नजर आती हैं। सड़कों पर बेसहारा घूमती गौमाताएं ठंड से बचने के लिए आश्रय तलाशती हैं और भूख मिटाने के लिए कचरे के ढेर में प्लास्टिक और जूठन खाने को मजबूर हैं। यह स्थिति प्रशासन की अनदेखी और भ्रष्टाचार की पोल खोल रही है।

गौसेवा में जुटे स्थानीय लोग

गोहद के युवाओं ने प्रशासन की लापरवाही के बीच गौमाताओं की सेवा के लिए खुद पहल की। बाजार चौराहा स्थित सीताराम मंदिर के पास एक बीमार और भूखी गाय को देखकर युवाओं ने आग जलाकर उसे राहत पहुंचाई और इलाज के लिए गौसेवकों से संपर्क किया। यह घटना प्रशासन को जगाने की कोशिश भर है, लेकिन यह स्पष्ट करती है कि नगर पालिका का रवैया पूरी तरह उदासीन है।

गौशालाओं में फैला भ्रष्टाचार

नगर पालिका द्वारा गौवंश के लिए भूसा, ठंड से बचाव, और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का दावा किया जाता है, लेकिन ये सब केवल कागजों तक सीमित है। गौशालाओं का संचालन भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। गौसेवा के नाम पर आवंटित धनराशि का कोई हिसाब नहीं है, जिससे जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

जनता के सवाल और आक्रोश

गोहद की जनता नगर पालिका से इन सवालों के जवाब मांग रही है:

1. गौशालाओं की नियमित निगरानी क्यों नहीं होती?
2. गौवंश के लिए आवंटित धन कहां जा रहा है?
3. क्या गौवंश की सुरक्षा केवल कागजी खानापूर्ति है?

शासन-प्रशासन को चेतावनी

गोहद की जनता और गौसेवकों ने मांग की है कि नगर पालिका के दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। यदि जल्द ही समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो जनआंदोलन छेड़ा जाएगा।

गौवंश की सुरक्षा: सभी की जिम्मेदारी

गौमाता की सेवा भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है। सरकार और प्रशासन का दायित्व है कि बेसहारा गौवंश को ठंड और भूख से बचाने के लिए ठोस कदम उठाएं। इसके साथ ही समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी।
गोहद में गौमाताओं की दुर्दशा सरकार, प्रशासन और समाज के लिए एक चेतावनी है। अब समय आ गया है कि सभी मिलकर इस समस्या का स्थायी समाधान करें और बेसहारा गौवंश को सुरक्षित जीवन दें।

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