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राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापकों का वेतन भृत्य से भी कम

भोपाल। मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने हाल ही में राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) के रजिस्ट्रार को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें संविदा पर कार्यरत सहायक प्राध्यापकों को उचित वेतन देने की मांग की गई है। महासंघ का दावा है कि इन प्राध्यापकों का वेतन राज्य के भृत्यों से भी कम है।

वेतन असमानता की गंभीर समस्या

पिछले 10 से 12 वर्षों से आरजीपीवी में संविदा पर कार्यरत सहायक प्राध्यापकों को वर्तमान में 37,500 रुपये मासिक वेतन दिया जा रहा है। यह वेतन मध्यप्रदेश शासन में कार्यरत एक सीनियर भृत्य के 42,000 रुपये मासिक वेतन से भी कम है। यह स्थिति इंजीनियरिंग और अन्य तकनीकी विषयों को पढ़ा रहे शिक्षित असिस्टेंट प्रोफेसरों के लिए अपमानजनक है।

ज्ञापन की मुख्य मांगें

मध्यप्रदेश संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने आरजीपीवी के रजिस्ट्रार मोहन सेन से मुलाकात की। उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 22 जुलाई को जारी संविदा नीति के अनुसार, संविदा पर कार्यरत प्राध्यापकों को न्यूनतम वेतन ग्रेड पे और वर्तमान महंगाई भत्ते के साथ एकजाई वेतन देने की मांग की। इसके साथ ही, अनुकम्पा नियुक्ति, ग्रेच्यूटी, प्रीसूती अवकाश, और अन्य शासकीय अवकाश के प्रावधानों का पालन करने का आग्रह किया।

रजिस्ट्रार का आश्वासन

आरजीपीवी के रजिस्ट्रार मोहन सेन ने प्रतिनिधि मंडल को आश्वस्त किया कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी की गई नीति का पालन किया जाएगा और सहायक प्राध्यापकों का वेतन बढ़ाया जाएगा। इस निर्णय से विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों को उनके योगदान के अनुसार उचित सम्मान और वेतन मिलेगा।
निष्कर्ष

मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ की इस पहल से उम्मीद है कि आरजीपीवी में कार्यरत सहायक प्राध्यापकों को उनका उचित वेतन और सम्मान मिलेगा। इससे न केवल प्राध्यापकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में भी वृद्धि होगी।

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