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भोपाल में 22 सितंबर को जुटेंगे हजारों अस्थाई और आउटसोर्स कर्मचारी, मांगेंगे नौकरी में सुरक्षा और न्यूनतम वेतन

**”कामगार क्रांति आंदोलन” में शामिल होंगे प्रदेशभर के अस्थाई कर्मचारी, भाजपा सरकार पर लगाए आरोप**

**भोपाल**: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 22 सितंबर को अस्थाई और आउटसोर्स कर्मचारियों का बड़ा विरोध प्रदर्शन होने जा रहा है। *कामगार क्रांति आंदोलन* के तहत यह कर्मचारी **नौकरी में सुरक्षा और न्यूनतम 21,000 रुपये वेतन** की मांग करेंगे। इस आंदोलन का नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा करेंगे, जिसमें चपरासी, चौकीदार, पंप ऑपरेटर, सफाईकर्मी, कंप्यूटर ऑपरेटर, योग प्रशिक्षक और अन्य अंशकालिक कर्मचारी शामिल होंगे। आंदोलन में प्रदेशभर से हजारों कर्मचारी जुटने की उम्मीद है।

**भाजपा सरकार पर असफलता के आरोप** 
आंदोलन से जुड़े कर्मचारी नेताओं का कहना है कि भाजपा सरकार पिछले 20 सालों से तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की भर्ती करने में असफल रही है। सरकारी विभागों में ठेकेदारी प्रथा के चलते कर्मचारियों की नौकरी में सुरक्षा नहीं बची है, और उन्हें न्यूनतम वेतन भी नहीं दिया जा रहा। अस्थाई कर्मचारियों को महज 2,000-3,000 रुपये के वेतन पर काम कराया जा रहा है, जबकि उनका हक इससे कहीं ज्यादा है। कर्मचारियों ने सरकार पर अन्याय का आरोप लगाते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है कि वे न्याय के लिए एकजुट हों।

**अनुमति में देरी पर उठे सवाल** 
आंदोलन के लिए **नीलम पार्क** में अनुमति मांगी गई थी, लेकिन प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि यदि अनुमति नहीं दी गई, तो वे चिनार पार्क के सामने एकत्र होकर बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा के पास शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे।

**आंदोलन की अपील** 
कर्मचारी संगठनों के नेताओं, जिनमें **अनिल वाजपेई, डॉ. अमित सिंह, उमाशंकर पाठक, रीतेश देवनाथ, गायत्री जायसवाल** और **विपिन पांडे** शामिल हैं, ने सभी अस्थाई, आउटसोर्स और ठेका कर्मचारियों से इस आंदोलन में शामिल होने की अपील की है। उनका कहना है कि मप्र सरकार ने लंबे समय से चौकीदार, चपरासी और सफाईकर्मियों की भर्ती नहीं की है, और लाखों कर्मचारी अन्याय का सामना कर रहे हैं। यह आंदोलन उनके हक की लड़ाई है, जिसमें हर कर्मचारी को भाग लेना चाहिए।

22 सितंबर को होने वाले *कामगार क्रांति आंदोलन* के जरिए प्रदेशभर के अस्थाई और आउटसोर्स कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद करेंगे। इस प्रदर्शन से सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास किया जाएगा, ताकि कर्मचारियों को उनका हक मिल सके और नौकरी में सुरक्षा की गारंटी दी जा सके।

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