*चपरासी और चौकीदार की भर्ती में विफल सरकार के खिलाफ ‘कामगार क्रांति आंदोलन’*
भोपाल। मध्यप्रदेश में अस्थाई और आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ 22 सितंबर को भोपाल में बड़ा विरोध प्रदर्शन होगा। इस ‘कामगार क्रांति आंदोलन’ में ग्राम पंचायतों के चौकीदार, भृत्य, पंप ऑपरेटर, सफाईकर्मी, स्कूल और छात्रावासों के अंशकालीन कर्मचारी, निगम मंडल, नगरीय निकाय, सहकारिता और अन्य सरकारी विभागों के आउटसोर्स कर्मचारी शामिल होंगे। इनका नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा करेंगे।
इन कर्मचारियों की प्रमुख मांग है नौकरी में सुरक्षा और न्यूनतम 21,000 रुपये मासिक वेतन। यह प्रदर्शन सरकार के खिलाफ अस्थाई और ठेका कर्मचारियों की उपेक्षा के विरोध में किया जा रहा है, जिसमें प्रदेशभर से हजारों कर्मचारी शामिल होंगे।
**प्रदर्शन की तैयारियां और मांगें**
प्रेस को जारी बयान में कई कर्मचारी संगठनों के नेताओं ने बताया कि वर्तमान में सरकारी विभागों में ठेकेदारी प्रथा हावी है और 80 प्रतिशत से ज्यादा विभागों का निजीकरण हो चुका है। ऐसे में कर्मचारियों को न तो नौकरी की सुरक्षा मिल रही है और न ही सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन।
संघ के नेताओं में अनिल बाजपेई, राजभान रावत, उमाशंकर पाठक, रीतेश देवनाथ और अन्य ने कहा कि यह आंदोलन अब तक के सबसे बड़े अन्याय के खिलाफ है।
**प्रशासन से अनुमति में देरी**
आंदोलन के लिए नीलम पार्क में प्रदर्शन की अनुमति के लिए 2 सितंबर को आवेदन किया गया था, लेकिन पुलिस प्रशासन ने अब तक अनुमति नहीं दी है। अगर प्रशासन अनुमति नहीं देता, तो कर्मचारी चिनार पार्क में जुटेंगे और वहां से शांतिपूर्ण विरोध के रूप में बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा तक मार्च करेंगे।
**सरकार की नीतियों के खिलाफ एकजुटता**
कर्मचारी नेताओं ने प्रदेशभर के आउटसोर्स और अस्थाई कर्मचारियों से इस आंदोलन में शामिल होने की अपील की है। उनका कहना है कि 20 सालों से चौकीदार और चपरासी जैसे पदों पर कोई भर्ती नहीं हुई है, जिससे लाखों कर्मचारी न्यूनतम वेतन से भी वंचित हैं। 22 सितंबर को यह आंदोलन एकजुट होकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएगा।