गोहद । नगर पालिका परिसर में बिना अनुमति आयोजित होली मिलन समारोह को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सत्ता के रसूख में चूर नेताओं ने सरकारी कार्यालय को अपने निजी दरबार में बदल दिया और जनता के टैक्स से चलने वाले इस परिसर में गाना-बजाना और जश्न मनाया गया। यह न सिर्फ सरकारी परिसरों के दुरुपयोग का मामला है, बल्कि कानून की खुली अवहेलना भी है।
बाल श्रम कानून का उल्लंघन – प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
इस आयोजन की सबसे अमानवीय घटना थी – मासूम बच्चों से बर्तन धुलवाना। यह बाल श्रम कानून 1986 और किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत गंभीर अपराध है, जिसके लिए सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। अब सवाल यह उठता है कि प्रशासन इस पर मौन क्यों है?
कानूनी उल्लंघन और आवश्यक कार्रवाई:
बिना अनुमति सरकारी परिसर में आयोजन –
IPC धारा 447 (अतिक्रमण) और 188 (सरकारी आदेश की अवहेलना) के तहत अपराध
बाल श्रम कानून का उल्लंघन –
बाल श्रम निषेध अधिनियम 1986 और किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 75 व 79 के तहत सख्त दंडनीय अपराध
सरकारी कार्य में बाधा डालना –
IPC धारा 353 के तहत अपराध, क्योंकि सरकारी दफ्तर में आयोजन कर कार्य को बाधित किया गया
प्रशासनिक लापरवाही –
मध्य प्रदेश सिविल सेवा आचरण नियमों के तहत जिम्मेदार अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए
प्रशासन पर उठते सवाल:
क्या इस आयोजन के लिए प्रशासन से अनुमति ली गई थी?
अगर अनुमति नहीं थी, तो अब तक दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
क्या गोहद प्रशासन सत्ता के दबाव में निष्क्रिय हो गया है?
जनता को चाहिए न्याय – ये कदम उठाने होंगे:
थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई जाए।
बाल आयोग और मानवाधिकार आयोग में मामला भेजा जाए।
सरकारी परिसरों के दुरुपयोग के खिलाफ हाईकोर्ट में PIL दायर की जाए।
अगर प्रशासन अब भी कार्रवाई नहीं करता, तो साफ हो जाएगा कि वह भी इस अपराध में शामिल है। जनता को अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी होगी, वरना अगली होली में सिर्फ गुलाल नहीं, बल्कि सत्ता की गलतियों की कालिख भी उड़ेगी!
गोहद में गैरकानूनी होली मिलन समारोह और बाल श्रम का मामला – FIR क्यों नहीं?
