महिलाओं की भागीदारी से मजबूत होगा गेहूं उपार्जन ,: गोविंद सिंह राजपूत

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के विजन के तहत महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा

भोपाल । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा के अनुरूप महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने और रोजगार के नए अवसर प्रदान करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं उपार्जन में महिला स्व-सहायता समूहों और ग्राम संगठनों को शामिल करने का निर्णय लिया गया है।

खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि उपार्जन नीति में संशोधन कर महिला समूहों को गेहूं क्रय केंद्रों के संचालन का अवसर दिया जाएगा। इससे न केवल महिलाओं को रोजगार मिलेगा बल्कि ग्राम स्तर पर आर्थिक सशक्तिकरण भी होगा।

महिला स्व-सहायता समूहों के लिए पात्रता मानदंड

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 1 जनवरी 2025 से पूर्व पंजीकृत होना अनिवार्य।
समूह के बैंक खाते में न्यूनतम ₹2 लाख की जमा राशि होनी चाहिए।
समूह की सभी सदस्य और पदाधिकारी महिलाएं होनी चाहिए।
पिछले एक वर्ष में नियमित बैठकों का आयोजन किया गया हो।
पिछले वर्षों में उपार्जन कार्य में कोई अनियमितता नहीं होनी चाहिए।
चयन के लिए जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी की अनुशंसा आवश्यक।

महिला समूहों के लिए आवश्यक दस्तावेज

पंजीकरण प्रमाण पत्र
पिछले 6 महीनों का बैंक स्टेटमेंट
पिछले 3 महीनों की बैठकों का विवरण
उपार्जन कार्य के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों का प्रमाण

महिलाओं को मिलेगा मानदेय और अतिरिक्त लाभ

खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि महिला स्व-सहायता समूहों को उपार्जन कार्य के लिए कंप्यूटर ऑपरेटर का मानदेय मिलेगा। इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा निर्धारित कमीशन और अन्य प्रासंगिक खर्चे भी दिए जाएंगे।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम

यह पहल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को भी गति देगी। इससे सरकारी गेहूं उपार्जन प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनेगी।

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