भोपाल । एम्स भोपाल के मनोरोग विभाग ने विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस 2024 का आयोजन किया, जिसमें “आत्महत्या पर विमर्श बदलना” विषय पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य आत्महत्या और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कलंक को चुनौती देना और एक संवेदनशील संवाद को बढ़ावा देना था। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों पर खुलकर चर्चा करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि आत्महत्या केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि इसका परिवार, दोस्तों और समाज पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है।
प्रो. सिंह ने कहा कि आत्महत्या पर विमर्श को बदलने की दिशा में सहानुभूति और समर्थन से भरे माहौल की जरूरत है। एम्स भोपाल इस बदलाव का नेतृत्व करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने, नीतियों में सुधार, देखभाल की व्यापक पहुंच, और संकट में पड़े व्यक्तियों को सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यक्रम में नर्सिंग छात्रों द्वारा एक “रिबन अभियान” का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य आत्महत्या के प्रति जागरूकता फैलाना और यह संदेश देना था कि हर छोटी बातचीत भी किसी की मदद कर सकती है। इस अभियान ने समाज में सहयोग और एकजुटता की भावना को प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण “युवाओं में आत्महत्या रोकथाम की रणनीतियां” पर आयोजित पैनल चर्चा थी, जिसकी अध्यक्षता एम्स भोपाल के मनोरोग विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) विजेंदर सिंह ने की। इस पैनल में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, शिक्षाविद, और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। पैनल ने आत्महत्या के बढ़ते खतरे को कम करने के लिए युवाओं के लिए आवश्यक रणनीतियों पर चर्चा की। प्रो. डॉ. विजेंदर ने बताया कि विश्व भर में हर साल 7 लाख लोग आत्महत्या करते हैं और 2022 में भारत में 1,71,000 आत्महत्याएं हुईं। ये मौतें रोकी जा सकती हैं। इसके साथ ही “गेटकीपर प्रशिक्षण कार्यशाला” का आयोजन भी किया गया, जिसका उद्देश्य प्रतिभागियों को आत्महत्या रोकथाम के लिए आवश्यक कौशल और जानकारी प्रदान करना था। कार्यशाला में संकटग्रस्त व्यक्तियों की पहचान और समय पर उचित सहायता प्रदान करने पर जोर दिया गया।