एम्स्टर्डम । स्वस्थ मरीज आमतौर पर कुछ दिनों से लेकर हफ्तों के भीतर वायरस को खत्म कर देते हैं, लेकिन कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों में लंबे समय तक वायरल प्रतिकृति और विकास के साथ लगातार संक्रमण विकसित हो सकता है। संक्रमण से लोग 15 से 30 दिन में पूरी तरह से ठीक हो जाया करते थे। वहीं बहुत से मामले ऐसे भी देखे गए जिसमें मरीज को संक्रमण मुक्त होने में 100 या उससे कुछ अधिक दिन का वक्त लगा था। फिर भी कुछ मामले ऐसे भी थे जिनमें मरीजों में सैकड़ों दिनों तक वायरस रहा। इनमें सबसे चौंकाने वाला मामला हॉलैंड के 72 साल के शख्स का है, जो मरने से पहले 613 दिन तक संक्रमित रहा था।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस अवधि के दौरान वायरस लगभग 50 बार म्यूटेट हुआ। उन्होंने चेतावनी दी है कि इस आदमी की तरह कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्ति, बीमारी के घातक नए स्ट्रेन के लिए आदर्श इनक्यूबेटर हैं। माना जाता है कि 72 वर्षीय व्यक्ति को सबसे लंबे समय तक रहने वाला संक्रमण था। ओमिक्रॉन वैरिएंट, जो 2021 के अंत में उभरा, एक प्रतिरक्षाविहीन व्यक्ति में उत्पन्न हुआ, जो ऐसे रोगियों की सतर्क निगरानी की आवश्यकता की अहमियत को बताता है।
फरवरी 2022 में एक बुजुर्ग व्यक्ति को एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में भर्ती कराया गया था, जो एक कोविड संक्रमण से पीड़ित था, जिसे ओमिक्रॉन संस्करण माना जाता था। रोगी के पास स्टेम सेल प्रत्यारोपण उपचार का इतिहास था, जिसने उसे प्रतिरक्षाविहीन के रूप में वर्गीकृत किया था। पोस्ट-ट्रांसप्लांट लिंफोमा के विकास के कारण उनकी स्थिति और भी जटिल हो गई थी, जिसके लिए उन्हें एक लक्षित कैंसर दवा मिल रही थी जो सभी उपलब्ध बी-कोशिकाओं को नष्ट कर देती है, जिसमें कोविड एंटीबॉडी के उत्पादन के लिए जिम्मेदार कोशिकाएं भी शामिल हैं।
हालांकि, शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि एंटीबॉडी प्राप्त करने के 21 दिन बाद ही वायरस ने सोट्रोविमैब के प्रति प्रतिरोध म्यूटेशन विकसित कर लिया था। उन्होंने पहले महीने में न्यूनतम एंटी-स्पाइक एंटीबॉडी विकास भी देखा, जिससे पता चलता है कि रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस को खत्म करने में असमर्थ थी। आखिर में उस बुजुर्ग व्यक्ति की उसके खून में मौजूद किसी बीमारी की बार बार होने के कारण मौत हो गई।
72 साल के बुजुर्ग ने 613 दिन तक किया कोरोना से संघर्ष, फिर हुई मौत
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