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सावधान! टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों में डिमेंशिया होने का खतरा ज्यादा

नई दिल्ली,। डिमेंशिया वह बीमारी है, जिसमें इंसान की याददाश्त, भाषा, समस्या-समाधान और सोचने-समझने की शक्ति कम हो जाती है। अल्जाइमर डिमेंशिया का सबसे प्रमुख कारण है। इस बीमारी में लोगों को बढ़ती उम्र के साथ भूलने की बीमारी होने लगती है। इस बीमारी से लोग कई बार अपना नाम तक भूल जाते हैं। यदि आपको डायबिटीज है, तो यह खतरनाक बीमारी आपको भी हो सकती है। टाइप-2 डायबिटीज सबसे खतरनाक डायबिटीज में से एक है। डिमेंशिया जैसी बीमारी के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार टाइप-2 डायबिटीज ही है।
विशेषज्ञों के मुताबिक जिन लोगों को टाइप-2 डायबिटीज है, ऐसे लोगों में कई बार डिमेंशिया होने का खतरा ज्यादा होता है। टाइप-2 डायबिटीज पर इंसुलिन काम नहीं करती है, जिसकी वजह से मरीज के खून में ग्लूकोज़ का स्तर बढ़ जाता है जिसकी वजह से ब्रेन के सेल्स को नुकसान पहुंचाता है जिसकी वजह से ऐसे व्यक्ति में डिमेंशिया होने का खतरा बढ़ जाता है, जो टाइप-2 डायबिटीज से ग्रसित है। इसी वजह से ऐसे लोग जो इस बीमारी से ग्रसित हैं, उन लोगों में स्ट्रोक होने के साथ-साथ कार्डियोवैस्कुलर समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है। ये दोनों स्थितियां मस्तिष्क के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, जिससे डिमेंशिया होने का जोखिम बना रहता है।
टाइप-2 डायबिटीज से हमारे दिमाग में सूजन आ सकती है जो डिमेंशिया के विकास को प्रोत्साहित करने में सहायक होती है। टाइप-2 डायबिटीज से दिमाग को पर्याप्त ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं कुछ शोधों में यह भी पाया गया है कि डायबिटीज मस्तिष्क में एमीलॉइड प्रोटीन के संचय को बढ़ा सकती है, जो अल्जाइमर रोग के लक्षणों से जुड़ा होता है। ऐसे में हमें सावधान रहने की जरुरत है और डायबिटीज के मरीजों को खास तौर से।

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