भोपाल । भोपाल इंटरनेशनल सेंटर के संस्थापक शशिधर कपूर द्वारा आज भोपाल का प्रारूप नागरिक विजन मिशन 2047 प्रस्तुत किया गया । इसे शहर के प्रबुद्धजनों, बुद्धिजीवियों कलाकारों , फिल्मकारों , छात्रों आदि के विचारों को समाहित कर तैयार कर गया है।श्री कपूर ने कहा कि विजन के बगैर प्लान अधूरा है ।उन्होंने इस संदर्भ में भोपाल के ख्यातिलब्ध प्रशासक श्री बुच के हवाले से बताया कि वे हमेशा विजन बनाने की पैरवी करते रहे।
संस्था की सह- संस्थापक प्रीति त्रिपाठी ने बताया कि भोपाल इंटरनेशनल सेंटर के क्रियाकलाप तीन शब्दों पर केंद्रित हैं- भोपाल से जुड़ाव ,इंटरनेशनल एंगल और सेंटर यानि समग्र स्वरूप।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम वीडियो “विजन भोपाल 2047” दिखाया गया जिसमें शहर के विभिन्न नागरिकों और हस्तियों का विजन संजोया गया है । डॉक्टर प्रदीप नदी ने जहां एक और रामसर साइट को बचाने की बात की वही जागरण लेक यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर विश्वास ने शिक्षा की क्वालिटी सुधारने के लिए शहर में स्थित राष्ट्रीय संस्थानों का सहयोग लेने का सुझाव दिया ।
वरिष्ठ पत्रकार चंद्रकांत नायडू ने पुरानी रिवायतों को जीवित रखने की बात कही । लेखक विजय अग्रवाल ने कहा कि सिर्फ भौतिक ही नहीं साथ-साथ किंवदंतियों को भी संजोए रखने की जरूरत है।आर्थिक मामलों के जानकार राजेंद्र कोठारी ने कहा कि जितनीअंतरराष्ट्रीय स्तर की इंडस्ट्री भोपाल में है उन्हें भोपाल के योगदान में और सक्रिय भागीदारी करनी होगी ।
स्कूल आफ प्लैनिंग आफ आर्किटेक्चर के प्रोफेसर पोपली ने जन भागीदारी पर जोर दिया।
अंतरराष्ट्रीय विषयों पर भोपाल की राय बनाना एवं समग्र रूप से शहर की पहचान बनाए रखना उसके शामिल है।
पत्रकारों द्वारा स्मार्ट सिटी पर सवाल के जवाब में शशिधर कपूर ने बताया कि स्मार्ट सिटी के साथ-साथ इंटेलिजेंट नागरिकों की भी जरूरत है ।आधिकारिक तौर पर स्मार्ट सिटी पूर्ण हो चुकी है लेकिन धरातल पर अभी बहुत कुछ होना शेष है । इसके लिए सुझाव लेकर नागरिकों द्वारा और भोपाल की सर्वप्रथम स्मार्ट सिटी भेल टाउनशिप और मिनी स्मार्ट सिटी जी. टी. बी. कॉम्प्लेक्स से सीखते हुए एक टिकाउ मॉडल प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।
भोपाल की त्रिवेणी संस्कृति के बारे में बात करते हुए प्रीति त्रिपाठी ने कहा कि भोपाल की संस्कृति गोंड ,हिंदू और मुस्लिम प्रभावों की मिली जुली त्रिवेणी है। अंत में एक ड्राफ्ट नागरिक विजन प्रस्तुत किया गया । इसमें भोपाल को ” ऑप्टिमम सिटी ” ( यथायोग्य शहर) बनाने का सुझाव दिया गया। यानी की समन्वित जीवनशैली एवं जीवन यापन । यह शशिधर कपूर की शीघ्र प्रकाशित किताब का टाइटल भी है ( मुंबई – मैक्सिमम सिट्टी तर्ज पर )। जीरो वेस्ट सिटी बनाने की बात भी रखी गई। बाबूलाल गौर द्वारा सुझाए गए प्रस्ताव के आधार पर भोपाल को सेंट्रल कैपिटल रीजन बनाने की बात कही गई ।साथ ही भोपाल को देश की “मोस्ट लिवेबल सिटी ” बनाने का भी प्रस्ताव रखा गया। प्लान के बनाने और क्रियान्वन दोनों में नागरिकों की हिस्सेदारी और भागीदारी की बात की गई।
आर.डब्ल्यू.ए एक्ट बहुत समय से लंबित है उसे पारित कर रहवासियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाने का जिक्र है ।भोपाल को एक इंटेलेक्चुअल कैपिटल बनाने की बात भी कही गई ।हवाला भारत भवन का दिया गया जिसे 45 वर्ष पूर्व बनाने के बाद भोपाल एक सांस्कृतिक केंद्र बना था । उसी तर्ज पर भोपाल को यूनेस्को हेरीटेज सिटी बनाने की जो कमाया चल रही है उसको जोर देने की मांग भी की गई।
कहा गया कि कोई भी प्लान हो उसका ज्यादा जोर भौतिक चीजों पर होता है।जमीन ,वन ,खनिज संसाधन इत्यादि । कला , परंपरा लैंडस्केप, एस्थेटिक्स ,अर्बन कॉमनस, बायोडायवर्सिटी पर्यावरण , इत्यादि अक्सर हाशिए पर चले जाते हैं। तो यह जिम्मेदारी नागरिकों पर आती है कि इन्हे भी सही अनुपात में शामिल करा पाए। अंत में शशिधर कपूर ने कहा कि प्लान में नॉन- प्लान की तो व्यवस्था होती है पर हमारी मांग यह है कि नॉन प्लान की व्यवस्था भी उतनी ही हो जितनी की प्लान की होती है। तभी जाकर प्लान लंबे समय में सफल हो पाएगा। अब यह ड्राफ्ट प्लान कांफ्रेंस हाल से निकलकर आम जनता के बीच जाएगा विशेष कर अंतिम छोर के लोगों में। फिर उनकी राय और सुझावों को समावेश कर फाइनल नागरिक विजन मिशन 2047 पिरोया जायेगा। जिस तरह से एजुकेशन, बिजनेस और मेडिकल विजन प्रस्तुत किए गए हैं उसी तर्ज पर 16 अलग-अलग आयाम के भोपाल विजन प्रस्तुत किए जाएंगे। अंत में 1 नवंबर को भोपाल राजधानी दिवस के दिन फाइनल ” नागरिक विजन विजन : भोपाल 2047″ प्रस्तुत किया जाएगा ।