*नई दिल्ली:*Historic decision of Supreme Court* सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जा को बरकरार रखा है। सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की बेंच ने 4:3 के बहुमत से यह फैसला सुनाया।
**निर्णय का महत्व:**
Historic decision of Supreme Court सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2006 के फैसले के खिलाफ सुनवाई करते हुए कहा कि एएमयू भारत के संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जे की हकदार है। इस महत्वपूर्ण फैसले में सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जेडी पारदीवाला, और मनोज मिश्रा ने एक मत से निर्णय लिया, जबकि जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता, और सतीश चंद्र शर्मा ने असहमति जताई।
**इतिहास और पृष्ठभूमि:**
साल 1968 के एस. अजीज बाशा बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एएमयू को केंद्रीय विश्वविद्यालय माना था। हालांकि, 1981 में एएमयू अधिनियम 1920 में संशोधन कर संस्थान का अल्पसंख्यक दर्जा बहाल कर दिया गया। इसे इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
**संविधान पीठ की सुनवाई:**
सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की पीठ ने इस मामले की आठ दिनों तक सुनवाई की और याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
यह फैसला अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण विजय है और इससे अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों को भी मजबूत आधार मिला है।
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