भोपाल । एम्स भोपाल की एमडी (फार्माकोलॉजी) छात्रा डॉ. ऋषिका ए. को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा पीजी थीसिस ग्रांट से सम्मानित किया गया है। यह अनुदान उनके शोध “सर्जिकल एंटीमाइक्रोबियल प्रोफाइलेक्सिस के मूल्यांकन और स्वच्छ एवं अर्ध-स्वच्छ सर्जरी में एंटीमाइक्रोबियल स्टीवर्डशिप हस्तक्षेप के प्रभाव” पर आधारित है।
एम्स भोपाल में अनुसंधान उत्कृष्टता की दिशा में एक और कदम
एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. अजय सिंह ने डॉ. ऋषिका को बधाई देते हुए कहा “उनका यह शोध एंटीमाइक्रोबियल स्टीवर्डशिप में एक महत्वपूर्ण योगदान होगा। सर्जरी के दौरान एंटीबायोटिक्स के उचित उपयोग से एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध को कम करने और रोगी सुरक्षा में सुधार करने में मदद मिलेगी।”
शोध के उद्देश्य:
यह अध्ययन आईसीएमआर और विश्व स्वास्थ्य संगठन के एंटीमाइक्रोबियल दिशानिर्देशों के अनुपालन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। मुख्य उद्देश्य:
सर्जिकल एंटीमाइक्रोबियल दवाओं के उपयोग को अनुकूलित करना
सर्जिकल साइट संक्रमण (SSIs) को कम करना
अनावश्यक एंटीबायोटिक्स प्रिस्क्राइबिंग को रोकना
स्वास्थ्य पेशेवरों के बीच जागरूकता बढ़ाना
शोध मार्गदर्शक और टीम:
यह अध्ययन प्रो. बालकृष्ण एस. और प्रो. शिल्पा एन. काओरे के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। साथ ही डॉ. अजय शुक्ला, डॉ. शुभम अटल और डॉ. स्वागत ब्रह्मचारी इस शोध में सह-मार्गदर्शक के रूप में सहयोग कर रहे हैं।
एम्स भोपाल में चिकित्सा अनुसंधान को बढ़ावा
एंटीमाइक्रोबियल स्टीवर्डशिप में नई रणनीतियों का विकास, प्रिस्क्राइबिंग प्रथाओं को बेहतर बनाना, रोगी उपचार के परिणामों में सुधार, आईसीएमआर ग्रांट से एम्स भोपाल की शोध प्रतिबद्धता को मजबूती
एम्स भोपाल के अनुसंधान प्रयास चिकित्सा क्षेत्र में नवीन समाधान लाने के लिए सतत कार्यरत हैं। डॉ. ऋषिका ए. का यह अध्ययन एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
एम्स भोपाल की डॉ. ऋषिका ए. को आईसीएमआर पीजी थीसिस ग्रांट, एंटीमाइक्रोबियल स्टीवर्डशिप पर करेंगी शोध
